'फ़िल्मों ने महिलाओं की ग़लत छवि पेश की है'

गायिका शालमली खोलगड़े

इमेज स्रोत, Hardly Anonymous Communications

    • Author, सुशांत एस मोहन
    • पदनाम, बीबीसी संवाददाता

गायिका शालमली खोलगड़े का मानना है कि कभी-कभी भारतीय फ़िल्मों और गीतों के वीडियो में ऐसी बातें और ऐसी चीज़ें दिखा दी जाती हैं जो महिलाओं के सम्मान के विरूद्ध होती हैं और उन्हें एक ग़लत छवि में पेश करती हैं.

बीबीसी हिंदी के फ़ेसबुक लाइव के दौरान उन्होनें माना कि बॉलीवुड में बनने वाले गानों में अक्सर छेड़छाड़ या ईव टीज़िंग को इस तरह दिखाया जाता है कि देखने वाले को लग सकता है कि यह सही है और शायद बेंगलुरू की घटना में शामिल लोग भी (उस समय) ख़ुद को किसी फ़िल्मी हीरो जैसा महसूस कर रहे हों.

शालमली कहती हैं, "हमारे यहां गाने हीरो को केंद्र में रख कर लिखे जाते हैं और ऐसे में वो जो भी कर देता है वो सही हो जाता है. लेकिन असल ज़िंदगी में यह छेड़ख़ानी से कम नहीं है."

गायिका शालमली खोलगड़े

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शालमली का नया गाना भी इसी बारे में है और वो समाज या ज़िंदगी में महिलाओं के लिए समान मौक़ों की बात करती हैं. वो कहती हैं, "जब मैंने अपना पहला गाना परेशां (इश्क़ज़ादे) गाया था तो कुछ समय बाद मुझे एहसास हुआ कि अक्सर हमारी फ़िल्मों में महिलाओं की भावनाओं या महिलाओँ को केंद्र में रखकर गीत नहीं बनाए जाते."

वो कहती हैं, "हर जगह की तरह बॉलीवुड में भी एक अनकही लैंगिक असमानता है, यहां उतने गाने महिला किरदारों पर नहीं बनते या महिलाओं को उतने मौक़े नहीं मिलते."

शालमली के नए गीत 'ऐ' में वो लैंगिक असामनता पर ही प्रहार कर रही हैं, "अक्सर लोगों को लगता है कि महिलाओं के हक़ की बात कर रही लड़कियां, औरतें समाज में पुरुषों से बेहतर स्थान चाहती हैं लेकिन ऐसा नहीं है. मेरे नए गीत के अंदर न सिर्फ़ मैंने महिलाओं को समान मौक़ा देने की बात की बल्कि यह भी साफ़ किया है कि कैसे एक नारी को भी चुनने का अधिकार मिलना चाहिए."

गायिका शालमली खोलगड़े

शालमली ने कहा कि महिलाएं सिर्फ़ एक शरीर नहीं है बल्कि उनके अंदर भी एक चेतना है, भावनाएं हैं, ताक़त है और अगर इस ताक़त को मौक़ा मिले तो वो भी हर वो उंचाई छू सकती हैं जो संभव है.

वो अपने घर का उदाहरण देते हुए कहती हैं कि मेरे माता-पिता ने मुझे अपनी पढ़ाई और अपना करियर चुनने की स्वतंत्रता दी थी, उन्होनें मुझे मौक़ा दिया कि मैं अपनी बात या अपनी ख्वाहिश उनके सामने रखूं और आज देखिए मैं कहां हूं!

शालमली अपने इस गाने के साथ लोगों से यही अनुरोध करना चाहती हैं कि वो अपनी बेटियों को आगे बढ़ने का एक मौक़ा दें और उन्हें उनकी राह चुनने दें.

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