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अमरीकी कार कंपनियों ने माँगी राहत
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अमरीका की तीन बड़ी कार कंपनियों, फ़ोर्ड, जीएम और क्रिसलर ने संसद से गुहार लगाई है कि उन्हें डूबने से बचाने के लिए 25 अरब डॉलर
का राहत पैकेज दिया जाए.
सीनेट की एक सुनवाई के दौरान इन कंपनियों ने चेतावनी दी है कि उनके सामने डूबने का ख़तरा मंडरा रहा है और इससे अमरीकी अर्थव्यवस्था का होने वाला नुक़सान बढ़ सकता है. हालांकि रिपब्लिकन और डेमोक्रेट दोनों ही दलों के लोग नहीं चाहते कि 700 अरब डॉलर के राहत पैकेज के किसी हिस्से का भी उपयोग कार कंपनियों को बचाने के लिए किया जाए. जनरल मोटर्स यानी जीएम के मुख्य कार्यकारी रिक वैगनर ने कहा है एक वित्तीय खाई पैदा हो गई है जिसे पाटने के लिए कंपनी को कर्ज़ की ज़रुरत है. जीएम ने कहा है कि कुछ ही हफ़्तों में उसके पास नक़द पूंजी ख़त्म हो जाएगी और वो नवनिर्वाचित राष्ट्रपति बराक ओबामा के जनवरी में पद संभालने तक नहीं ठहर सकती - जिन्होंने कार कंपनियों को राहत देने का वादा किया है. वॉशिंगटन में बीबीसी के संवाददाता रिचर्ड लिस्टर का कहना है कि निर्माण उद्योग के इन प्रतीक चिन्हों की मौत एक ऐसी आख़िरी चीज़ होगी जिसे बराक ओबामा अपने काम संभालने के शुरुआती दिनों में देखना चाहेंगे. उत्पादन में कमी जीएम के अधिकारी वैगनर ने संसद की बैंकिंग समिति को बताया कि कार निर्माताओं का संकट प्रबंधन की कमियों की वजह से पैदा नहीं हुआ है बल्कि यह वैश्विक आर्थिक मंदी का परिणाम है. उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि सरकार कोई क़दम नहीं उठाती है तो लाखों नौकरियाँ और सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में चार प्रतिशत की गिरावट आ जाएगी. उन्होंने कहा, "यह सहायता अमरीकी अर्थव्यवस्था को भीषण नाकामी से बचाने की कोशिश होगी." लेकिन बीबीसी संवाददाता का कहना है कि इसके बावजूद इस बात की संभावना कम नज़र आती है कि संसद में दोनों दलों के सांसदों का दिल कार कंपनियों के लिए पसीज जाए.
डेमोक्रेट और संसद की बैंकिंग समिति के प्रमुख क्रिस्टोफ़र डॉड का कहना था, "कार निर्माता कंपनियाँ एक ऐसे घाव का इलाज करवाने की माँग कर रही हैं जो उन्हें अपनी ग़लतियों की वजह से लगा है." लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि यदि इन कार निर्माता कंपनियों को डूबने दिया गया तो हज़ारों नौकरियाँ चली जाएँगीं. अलाबामा के सीनेटर और रिपब्लिकन पार्टी सदस्य रिचर्ड शेल्बी ने भी कार कंपनियों को राहत देने के बारे में संदेह जताया है. रिपब्लिकनों का कहना है कि सिर्फ़ आर्थिक मंदी वो वजह नहीं है जिसके कारण कार कंपनियाँ संकट में हैं. उनका कहना है कि फ़ोर्ड, जीएम और क्रिसलर का उत्पादन पर्याप्त नहीं था और उनकी कारों की लागत उनके कई प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में बहुत अधिक रही है. लेकिन कार कंपनियाँ इससे सहमत नहीं हैं. वो कह रही हैं कि यदि कार कंपनियाँ डूबीं तो पहले ही साल में 30 लाख नौकरियाँ चली जाएँगीं. फ़ोर्ड के प्रमुख एलन मुले का कहना था कि किसी एक कार कंपनी के डूबने का असर भी व्यापक होगा. |
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