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शुक्रवार, 24 अक्तूबर, 2008 को 01:24 GMT तक के समाचार

तेल उत्पादन घटाने का फ़ैसला संभव

कच्चे तेल की क़ीमतों में ज़बर्दस्त गिरावट के मद्देनज़र तेल निर्यातक देशों के संगठन यानी ओपेक की बैठक हो रही है जिसमें उत्पादन घटाने का फ़ैसला किया जा सकता है.

ऑस्ट्रिया की राजधानी वीयना में शुक्रवार को होने वाली इस बैठक के बारे में ओपेक के अध्यक्ष और अल्जीरिया के ऊर्जा मंत्री चाकिब ख़लील ने कहा, "हम उत्पादन घटाने जा रहे हैं, पर कितना ये नहीं कह सकते."

दरअसल वैश्विक अर्थव्यवस्था के मंदी की चपेट में आ जाने से ऐसा माना जा रहा है कि तेल की माँग में भारी कमी होगी और इसी बिना पर वायदा कारोबार में तेल की क़ीमतें लगातार गोता लगा रही है.

जुलाई में एक समय 147 डॉलर प्रति बैरल पर पहुँचने के बाद गुरुवार को भाव महज 66 डॉलर रह गया.

तेल निर्यात आधिरत अर्थव्यवस्था वाले ओपेक के सदस्य देश अब उत्पादन घटाना चाहते हैं ताकि क़ीमतें ऊपर जाए और उन्हें फायदा हो.

तेल की धार पर कूटनीति

वेनेजु़एला अपने तेल के उत्पादन में दस लाख बैरल की कटौती चाहता है. ये ओपेक के कुल उत्पादन का तीन प्रतिशत होगा.

वहीं ईरान ने सुझाव दिया है कि वो 20 लाख बैरल की कटौती करने के पक्ष में है. ग़ौरतलब है कि दोनों ही देश तेल के दामों में आई गिरावट से खुश नहीं हैं और इन्हें अपनी सरकार चलाने के लिए ज़रूरत है कि तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल से नीचे ना गिरें.

यही नहीं, इन दोनों देशों के तेल आयात करने वाले बड़े पश्चिमी देशों से अच्छे कूटनैतिक संबंध भी नहीं है जिससे वेनेज़ुएला और ईरान के लिए मुश्किलें और भी बढ़ जाती हैं

हालांकि ओपेक का सबसे बड़ा उत्पादक सऊदी अरब तेल के कम दाम के साथ गुज़ारा कर सकता है. क्योंकि उसको मालूम है कि ऊंचे दामों से इससे तेल आयात करने वाले देशों के लिए आर्थिक संकट खड़ा हो सकता है.

साथ ही सऊदी अरब ये भी नहीं चाहेगा कि ये देश तेल की बज़ाय किसी और संसाधन की और रूख कर लें.