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उपहारों पर भी पड़ी मंदी की मार
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दुनिया भर में छाई आर्थिक मंदी से अब उपहार भी नहीं बच पाए हैं. मंदी के कारण व्यापारिक प्रतिष्ठानों ने दीवाली पर दिए जाने वाले
उपहार का बजट कम से कम 25 फ़ीसदी घटा दिया है.
अपने सदस्यों से बातचीत के बाद वाणिज्य और उद्योग संगठन एसोचैम इस आकलन पर पहुँचा है कि आर्थिक मंदी को देखते हुए औद्यौगिक और व्यावसायिक संगठनों ने अपने उपहारों के बजट में कम से कम पच्चीस फ़ीसदी की कटौती की है. एसोचैम ने यह आंकलन अपने सदस्यों से मिले 'फ़ीडबैक' और व्यापारिक प्रतिष्ठानों के 2007 के उपहारों के बजट के आधार पर किया है. बजट घटाया पिछले साल दीवाली पर इन व्यापारिक प्रतिष्ठानों ने क़रीब 2000 करोड़ रुपए के उपहार बाँटे थे. संगठन का अनुमान है कि इस साल यह बजट पाँच सौ करोड़ रुपए घटकर केवल 1500 करोड़ रुपए ही रह गया है. एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने बताया कि व्यापारिक प्रतिष्ठानों ने इस साल दीवाली पर उपहार देने के लिए जिन वस्तुओं का चयन किया है उनमें से अधिकतर चीन से आयात की गई हैं. क्योंकि वे काफ़ी सस्ती हैं और उनकी पैकेजिंग भी बढ़िया मानी जाती है. पिछले साल दीवाली पर इन प्रतिष्ठानों ने सोने-चाँदी के सिक्के, कलाई घड़ी, ब्रीफ़केस, पीतल और चाँदी के बर्तन, मोमबत्ती स्टैंड और इलेक्ट्रानिक उपकरण आदि उपहार में बाँटे थे.
डीएस रावत ने कहा कि व्यापारिक प्रतिष्ठानों ने इस साल इन वस्तुओं को ख़रीदेने से परहेज़ किया है क्योंकि इनके दाम काफ़ी अधिक हैं. इस साल उपहार देने के लिए व्यापारिक घरानों ने प्लास्टिक के सामान, खिलौने और अन्य आकर्षक वस्तुओं की ख़रीद की है. महँगाई की मार के बीच थोक बाज़ार में सूखे मेवे की बिक्री में पिछले कुछ दिनों में 40 फ़ीसदी का इजाफ़ा हुआ है क्योंकि सूखे मेवे को त्योहारों का अच्छा उपहार माना जाता है. डीएस रावत का मानना है कि कच्चे माल की बढ़ती लागत, गिरती अर्थव्यवस्था और महँगे होते कर्ज़ ने व्यापारिक घरानों को उपहारों का बजट कम करने के लिए मजबूर किया है. उन्होंने कहा कि अगर यह गिरावट अगले एक-दो महीने और जारी रही तो ये व्यापारिक घराने अपने संसाधनों को रिश्ते मज़बूत करने पर खर्च करने से परहेज़ करेंगे. उपहारों को बजट सबसे अधिक आईटी, बीपीओ, विमानन उद्योग, एफ़एमसीजी, पर्यटन, रिटेल, इंजीनियरिंग, ऑटोमोबाइल और रीयल इस्टेट के घरानों ने कम किया है. ये घराने केवल चुने हुए लोगों को ही उपहार दे रहे हैं क्योंकि आर्थिक मंदी की मार सबसे अधिक इन्हीं क्षेत्रों पर पड़ी है. जिससे इनकी आमदनी घटी है. |
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