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अमरीकी बाज़ार में स्थिति अभी भी ख़राब
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अमरीका की सबसे बड़ी निवेश कंपनी अमेरिकन इंश्योरेंस ग्रुप को सरकारी मदद मिलने की घोषणा के बावजूद अमरीकी स्टॉक मार्केट में बुधवार
को बड़ी गिरावट देखी गई है और डाओ जोन्स सूचकांक 450 अंक गिरकर लगभग 10610 के स्तर पर बंद हुआ है.
ये स्तर तीन साल का सबसे निचला स्तर है. इस बड़ी गिरावट का एक कारण ये है कि ख़ुद अमरीका सरकार ने ही कहा है कि उसे कुछ बड़ी वित्तीय कंपनियों को लेकर चिंता है. लेकिन इस बीच, तेल के दामों में बड़ा उछाल आया है जिसके कारण चिंता बढ़ी है. बुधवार को अमरीका सरकार ने आगे आकर संकट में फँसी अमरीका की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एआईजी का हाथ थामा, उसे बचाया और 85 अरब डॉलर के कर्ज़ सहित पूरा पैकेज दिया. सरकार के इस क़दम से लोगों को उम्मीद थी कि बाज़ार संभलेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ. तो थोड़ी सी आशा की किरण दिख रही थी कि शायद इससे बाज़ार संभल जाएँ. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अब सरकार खुद ही वित्तीय कंपनियों को लेकर चिंता जता रहा है जिससे पूरी वित्तीय व्यवस्था को लेकर शंकाएं पैदा हो गई हैं. शायद इसी कारण बड़ी कंपनियों जैसे मॉर्गन स्टैनली का शेयर 44% गिर गया और गोल्डमैन सैक्स के शेयर 27% गिर गए. यानि वित्तीय क्षेत्र में हड़कंप मचा रहा. इसका नुक्सान ये हो रहा है कि लोग बैंकिंग के स्टॉक से, वित्तीय कंपनियों के स्टॉक में करोड़ों अरबों डॉलर लगाया करते थे वो निकाल रहे हैं. कुछ जानकार कहते हैं कि आज पहला दिन है जब एक दूसरा बड़ा बदलाव हम देख रहे हो सकते हैं. और वो है तेल के दामों में उछाल और यहाँ भारत को ख़ासी चिंता हो सकती है. कुछ जानकार मानते हैं कि जब बैंकिंग जैसे क्षेत्रों में से पैसा निकलता है तो वो बड़ा निवेश, बड़ा पैसा दो चीज़ों में जाता है – एक है तेल और दूसरा सोना. बुधवार को तेल के दाम लगभग साढ़े छह प्रतिशत बढ़े हैं यानि एक ही दिन में तेल के दाम 6 डॉलर बढ़ गए हैं और तेल अब 97 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चला गया है. उधर सोने के दाम में भी उछाल आया है. आज तक के इतिहास में सोने के दाम में किसी बुधवार को इतना बड़ा उछाल नहीं आया था. कल तक सोने के दाम 780 डॉलर प्रति आउंस थे जो एक ही दिन में 90 डॉलर बढ़कर लगभग 870 डॉलर प्रति आउंस हो गए हैं. ये सारे लक्षण अर्थव्यवस्था और बाज़ारों की चिंता को बढ़ा रहे हैं. देखना ये है कि आने वाले दो तीन दिनों में वित्तीय बाज़ारों का संकट कम होता है या फिर और गहरा जाता है और अमरीका की सरकार इसे कितनी दक्षता के साथ संभालती है क्योंकि अगर स्थिति संभली नहीं तो दुनिया के शेयर बाज़ार यहाँ से एक गंभीर समस्या की ओर बढ़ सकते हैं. अन्य बाज़ारों पर असर यूरोपीय बाज़ारों पर भी अमरीकी कंपनियों के दिवालिया होने और बिकने का असर दिख रहा है. लंदन में घरों के लिए वित्त उपलब्ध करने वाले सबसे बड़े समूह एचबीओएस के शेयरों में 50 प्रतिशत की गिरावट दर्ज़ की गई. हालांकि बाद में यह 19 प्रतिशत की गिरावट पर बंद हुआ. रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड के शेयर भी 10.4 प्रतिशत गिरे. रुसी स्टॉक एक्सचेंज में भी गिरावट देखी गई है. एशिया के स्टॉक बाज़ार में मिली जुली प्रतिक्रिया रही. एशिया के बाज़ार में टोक्यो, ताइपे और सियोल के बाज़ार मिले जुले रहे जबकि हांगकांग, शंघाई और ऑस्ट्रेलिया में बाज़ार नीचे रहा. पिछले एक हफ्ते से वित्तीय बाज़ार में उथल पुथल रही है जिसमें लीमैन ब्रदर्स दिवालिया हुए और मेरिल लिंच बिक गया. साथ ही एआईजी पर ख़तरे के बादल मंडरा रहे हैं. |
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