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कामयाबी के काफ़िले में दो गाड़ियाँ और
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एक लाख रुपए की कार नैनो लॉन्च करके भारतीय वाहन बाज़ार में क्रांति लाने वाली कंपनी ने अब ब्रिटेन में फोर्ड मोटर्स के जैगुआर
और लैंड रोवर का अधिग्रहण करके अपनी ग्लोबल पहचान को और पुख़्ता किया है.
टाटा समूह के पोर्टफ़ोलियो में क्या नहीं है, दूरसंचार और आईटी से लेकर चाय, इस्पात और होटल तक, वह भी सिर्फ़ भारत में नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में. टाटा समूह ने इससे पहले यूरोप की स्टील कंपनी कोरस की नीलामी में सबसे अधिक बोली लगाई थी और दुनिया की सबसे बड़ी पाँचवीं स्टील कंपनी बन गई. टाटा ने कुछ साल पहले ही सिंगापुर की नैटस्टील और थाईलैंड की मिलेनियम स्टील का अधिग्रहण किया था. वर्ष 1907 में भारत पर ब्रितानी हुकूमत के दिनों में जमशेदपुर में एक छोटे से स्टील कारखाने के रूप में टाटा स्टील की स्थापना हुई. शुरुआत जमशेदजी टाटा ने देश का सबसे बड़ा औद्योगिक घराना बनने का लक्ष्य लेकर एक मॉडल कंपनी की स्थापना की. उन्होंने देश में पहली बार अपने कर्मचारियों के लिए आठ घंटे की शिफ़्ट तय की. टाटा स्टील ‘टाटा समूह’ की 96 कंपनियों में से एक है. टाटा समूह हर वर्ष 22 अरब डॉलर का कारोबार करता है और देश का सबसे बड़ा निजी नियोक्ता है. टाटा ने पिछले कुछ वर्षों में भारत से बाहर पैर पसारना शुरू किया है और अब तेज़ी से वैश्विक कंपनी बनने की राह पर अग्रसर है. हो सकता है कि दुनिया में अधिकांश लोगों ने टाटा स्टील का नाम न सुना हो, लेकिन संभावना है कि उन्होंने कभी टाटा की ‘टेटली चाय’ की चुस्कियाँ ली हों या फिर फोन कॉल के लिए समुद्र के नीचे बिछे फ़ाइबर ऑप्टिक केबल का इस्तेमाल किया हो. या फिर कभी टाटा समूह के होटलों में आराम फ़रमाया हो. झारखंड के जमशेदपुर में कंपनी का प्लांट क्या बना इस शहर का नाम ही बदल गया और अक़्सर लोग इसे 'टाटा' ही कह कर पुकारते हैं. टाटा की बसें और ट्रक तो एशिया और अफ़्रीका के तमाम देशों की सड़कों पर फ़र्राटे से चलते हुए नजर आ जाएँगे. टाटा ने निशान मोटर्स को खरीदकर अफ़्रीका में अपनी बसों और ट्रकों की बिक्री का मज़बूत आधार तैयार किया. बढ़ते क़दम
जब भारत में तकनीकी संचार क्रांति की आहट भी नहीं हुई थी तो टाटा ने 1960 के दशक में ही सॉफ़्टवेयर बाज़ार में पेश कर दिया था और दुनिया भर में अपनी कंसल्टेंसी सेवा का लोहा मनवा चुका है. समूह ने छह साल पहले अमरीका की टेटली चाय पर अपनी मुहर लगाकर सात समंदर पार अपनी व्यापारिक काबलियत साबित की थी. टाटा ने हाल ही में अमरीका के बोस्टन शहर में 17 करोड़ डॉलर में रिट्ज़ कार्लटन होटल भी खरीदा है. टाटा समूह की जड़ें फ़िलहाल आठ देशों में हैं और लगातार फैलती जा रही हैं. समूह ने हाल ही में घोषणा की है कि अगले तीन से पाँच साल में वह विदेशी कंपनियों के अधिग्रहण पर 26 अरब डॉलर खर्च करेगा. ये अलग बात है कि कोरस को अपनी झोली में डालने के टाटा के कदम के बाद अब कुछ और भारतीय कंपनियां भी विदेशी कंपनियों को खरीदने की राह पर निकल पड़ें. विदेशों में टाटा की ख़रीदारी की सूची मार्च 2008 टाटा मोटर्स ने फोर्ड से जैगुआर और लैंड रोवर को ख़रीदा जनवरी 2007 टाटा स्टील ने कोरस स्टील को ख़रीदा जून 2006- अमरीकी कंपनी 8 ओक्लॉक कॉफी कंपनी का क़रीब 1000 करोड़ रुपए में अधिग्रहण किया. अगस्त 2006 -अमरीकी कंपनी ग्लेसॉ ( एनर्जी कंपनी) के 30 प्रतिशत शेयर खरीदे जुलाई 2005- टेलीग्लोब इंटरनेशनल को 239 मिलियन डॉलर में अधिग्रहित किया अक्तूबर 2005-टाटा टी ने तीन करोड़ 20 लाख डॉलर में गुड अर्थ क्राप का अधिग्रहण किया अक्तूबर 2005- ब्रिटेन के आईएनसीएटी इंटरनेशनल को 411 करोड़ रुपए में खरीदा अक्तूबर 2005- सिडनी स्थित कंपनी एफएनएस को अधिग्रहित किया नवंबर 2005- बिज़नेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग कंपनी कोमीकॉर्न को क़रीब 108 करोड़ में खरीदा दिसंबर 2005- थाईलैंड की मिलेनियम स्टील का अधिग्रहण 1800 करोड़ रुपए में किया. दिसंबर 2005- ब्रिटेन की ब्रूनर मोंड ग्रुप के 63.5 प्रतिशत शेयर 508 करोड़ रुपए में लिए मार्च 2004- कोरियाई कंपनी देवू कमर्शियल वेहिकल्स का 459 करोड़ रुपए में अधिग्रहण किया अगस्त 2004- सिंगापुर की नैटस्टील को 1300 करोड़ रुपए में खरीदा फरवरी 2000- 1870 करोड़ रुपए में ब्रिटेन की टेटली टी को खरीदा |
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