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नेशनल एक्सचेंज में अमरीकी हिस्सेदारी | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज और तीन अन्य बड़े विदेशी निवेशकों ने भारत के नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में 20 प्रतिशत की हिस्सेदारी ख़रीदी है. लगभग 46 करोड़ डॉलर के इस सौदे में निवेश बैंक गोल्डमैन सैक्स, जनरल अटलांटिक और सॉफ्टबैंक एशियन फंड शामिल हैं, चारों कंपनियों ने पाँच-पाँच प्रतिशत हिस्सेदारी ख़रीदी है. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ख़ुद एक कंपनी है जिसके ज़रिए देश में शेयरों का कारोबार होता है और एनएसई के 5 फ़ीसदी हिस्से के बिकने का मतलब ये नहीं कि उसमें कारोबार करने वाली कंपनियों के शेयर भी बिक जाएँगे, ये सौदा सिर्फ़ एनएसई में भागीदारी के लिए है. भारतीय रिज़र्व बैंक ने इस क्षेत्र में किसी एक निवेशक को पाँच प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी ख़रीदने की अनुमति नहीं दी है. एनएसई के मुख्य अधिकारी रवि नारायण ने कहा, "यह एनएसई के लिए एक बड़ा मील का पत्थर है जहाँ से हम विश्व स्तर पर अपनी मौजूदगी दर्ज करा पाएँगे." न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज के मुख्य अधिकारी जॉन ताहिन ने कहा, "यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार की हमारी योजना के तहत उठाया गया क़दम है." एनएसई की बाक़ी मिल्कियत कई वित्तीय संस्थानों, बैंको और बीमा कंपनियों के पास है, जून 1994 में इस शेयर बाज़ार के ज़रिए लेन-देन शुरू हुआ. इसके अलावा, ऐसी ख़बरें भी भारतीय अख़बारों में लगातार प्रकाशित हो रही हैं कि नैस्डैक और न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज एक और सौदा करना चाहते हैं, वे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में भी हिस्सेदारी ख़रीदने के इच्छुक हैं. बीएसई एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है जिसकी शुरूआत 1875 में हुई थी, बीएसई अपना 26 प्रतिशत हिस्सा बड़े निवेशकों को बेचने को तैयार है. भारतीय शेयर बाज़ार पर विदेशी निवेशकों की लंबे समय से नज़र है और उनका मानना है कि भारतीय बाज़ार में वे और बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ख़ुद एक कंपनी है जिसके ज़रिए देश में शेयरों का कारोबार होता है और एनएसई के 5 फ़ीसदी हिस्से के बिकने का मतलब ये नहीं कि उसमें कारोबार करने वाली कंपनियों के शेयर भी बिक जाएँगे, ये सौदा सिर्फ़ एनएसई में भागीदारी के लिए है. |
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