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अर्थव्यवस्था में उम्मीद से अधिक तेज़ी

चीन के बाद दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ रही भारतीय अर्थव्यवस्था ने वित्त वर्ष 2006-07 की पहली तिमाही में अनुमानों से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया है.

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष अप्रैल से जून की अवधि में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 8.9 फ़ीसदी रही.

पिछली तिमाही में यह 8.5 फ़ीसदी रही थी और ज़्यादातर विश्लेषकों का मानना था कि अप्रैल से जून के दौरान भी जीडीपी दर इसी के आसपास बनी रहेगी.

केंद्रीय सांख्यिकी संस्थान ने कहा है कि उत्पादन (मैन्युफैक्चरिंग) और निर्माण क्षेत्र में ज़बरदस्त वृद्धि दर के कारण अर्थव्यवस्था में तेज़ी बनी हुई है.

अप्रैल से जून के दौरान देश में उत्पादन क्षेत्र 11.3 फ़ीसदी और निर्माण क्षेत्र में 9.7 फ़ीसदी की दर से बढ़ा है.

कृषि

घरेलू उत्पादों में आधे से अधिक का योगदान देने वाले सेवा क्षेत्र में भी तेज़ी बनी हुई है. इस दौरान इसमें 13.2 फ़ीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है.

हालाँकि कृषि क्षेत्र में निराशाजनक प्रदर्शन का दौर 2006-07 की पहली तिमाही में भी बरकरार रहा और पिछली बार की भाँति इस बार भी 3.4 फ़ीसदी की ही वृद्धि दर्ज की गई.

इस बीच पहली तिमाही के प्रदर्शन को देखते हुए विश्लेषक पूरे साल के लिए अपने अनुमान को संशोधित करने का मन बना रहे हैं.

हालाँकि कई जानकारों का यह भी मानना है कि वित्त वर्ष के दूसरे उत्तरार्ध में अर्थव्यवस्था की तेज़ी की रफ़्तार कुछ कम हो सकती है.

अगर भारत चालू वित्त वर्ष के दौरान आठ फ़ीसदी वृद्धि दर हासिल कर लेता है तो ऐसा लगातार चौथे वर्ष होगा.

उधर वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा है कि अर्थव्यवस्था की तेज़ी बनाए रखने के लिए आर्थिक सुधारों की गति और तेज़ करने की जरूरत है. उन्होंने राजस्व घाटे को नियंत्रण में बनाए रखने की भी बात कही.