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अमरीका-यूरोप के शेयर बाज़ार धराशाई | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
महंगाई बढ़ने के कारण ब्याज़ की दरें बढ़ने की आशंका के चलते अमरीका और यूरोप के शेयर बाज़ार में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. न्यूयॉर्क और लंदन के शेयर बाज़ार में बुधवार को तीन साल की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. एफ़टीएसई 100 में 170 अंकों की गिरावट आई है. अक्तूबर 2002 के बाद से ये एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट है. बुधवार को यूरोप की 300 बड़ी कंपनियों को 123 अरब पाउंड का घाटा हुआ है. हांगकांग में शेयरों की कीमतें दो प्रतिशत तक गिर गई हैं. फ़्रांस और जर्मनी में भी इसी तरह का असर देखा गया है. कारण विश्लेषकों का कहना है कि अमरीका और यूरोप में उपभोक्ता क़ीमतों में हुई बढ़ोत्तरी इसकी एक वजह रही. दूसरी वजह ये आशंका रही कि यदि उपभोक्ता क़ीमतें इसी तरह बढ़ती रहीं तो ब्याज़ की दरें भी ऊपर जाएँगी. बताया जाता है कि अप्रैल की महंगाई की दर 2.4 प्रतिशत को देखते हुए माना जा रहा है कि यूरोपियन सेंट्रल बैंक ब्याज़ की दर 2.5 प्रतिशत कर सकता है. यदि बैंक ने कार्पोरेट कर्ज पर ब्याज़ की दर यदि बढ़ा दी तो कंपनियों को होने वाला लाभ कम हो सकता है. बुधवार को हुई बिकवाली से ब्रिटेन, फ़्रांस और जर्मनी में सूचकांक 2.5 प्रतिशत तक नीचे चला गया. इसी तरह न्यूयॉर्क के डो जोन्स सूचकांक में 1.9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. | इससे जुड़ी ख़बरें शुरुआती झटकों से उबरा शेयर बाज़ार16 मई, 2006 | कारोबार अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में भी गिरावट का दौर16 मई, 2006 | कारोबार शेयर बाज़ार में एक और 'ब्लैक मंडे'15 मई, 2006 | कारोबार अमीर शासकों में महारानी और कास्त्रो05 मई, 2006 | कारोबार भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलू01 मई, 2006 | कारोबार किस मोड़ पर है भारतीय अर्थव्यवस्था?10 अप्रैल, 2006 | कारोबार | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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