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अपार संभावनाएँ हैं मिडकैप शेयरों में | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
भारतीय अर्थव्यवस्था जिस दौर से गुजर रही है, उस दौर में कई कंपनियाँ ऐसी हैं, जो आज भले ही मझोले स्तर की हों, पर उनमें कुछ वर्षो बाद अपने उद्योग के शीर्ष पर पहुंचने की संभावना है. इन कंपनियों को जो आज चिन्हित कर सकता है, वो आज से पांच-सात साल बाद बहुत लाभ कमा सकता है. यहाँ यह याद करना चाहिए कि जो कंपनियाँ आज बहुत सफल और बड़ी दिखाई पड़ रही हैं, वे कुछ सालों पहले मझोले स्तर की कंपनियों में ही शुमार की जाती थीं. स्मार्ट निवेश नीति यह है कि ऐसी कंपनियों को पहले ही चिन्हित करके उनमें निवेश कर दिया जाए. मझोले स्तर की ऐसी कंपनियों को मिडकैप कंपनी कहा जाता है. मिडकैप से आशय मिडिल लेवल और कैप से आशय कैपिटाइलेजशन से है यानी ऐसी कंपनियां जिनका बाजार पूंजीकरण मझोले स्तर का है, बहुत ऊंचे स्तर का नहीं. बाजार पूंजीकरण से आशय किसी कंपनी द्वारा जारी शेयरों के बाजार मूल्य से है. उदाहरण के लिए किसी कंपनी ने कुल एक लाख शेयर बाजार में जारी किए हैं और एक शेयर का बाजार मूल्य है-250 रुपए. तो कहा जायेगा कि इस कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन या बाजार पूंजीकरण एक लाख गुणा 250 रुपये यानी ढाई करोड़ रुपए कहा जाएगा. नेशनल स्टाक एक्सचेंज की मिडकैप परिभाषा के हिसाब से जिन शेयरों का पिछले छह सालों में बाजार पूंजीकरण 75 करोड़ रुपये से लेकर 750 करोड़ रुपये तक रहा है, उन्हे मिडकैप की श्रेणी में रखा जाता है. मोटे तौर पर हर मुचुअल फंड या कोई संस्थान मिडकैप की अपनी परिभाषा रख सकता है, पर आशय यही है कि मझोले स्तर की कंपनियों को चुनकर उनमें निवेश किया जाए, ताकि कुछ सालों बाद चकाचक प्रतिफल कमाया जा सके. मिडकैप में निवेश से बेहतर प्रतिफल की उम्मीद इसलिए की जाती है कि जो अभी शीर्ष पर नही पहुंचा है, उसकी बढ़ने की रफ्तार अपेक्षाकृत ज्यादा होती है. बढोत्तरी ग़ौरतलब है कि मुंबई शेयर बाजार के संवेदनशील सूचकांक ने पिछले एक साल में जो तेज बढ़ोत्तरी हासिल की है, उसके पीछे मिडकैप शेयरों का भारी योगदान है.
इसे यूं समझा जा सकता है कि 12 अप्रैल, 2005 को मुंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 6464.61 बिंदुओं पर बंद हुआ था, यह 10 अप्रैल, 2006 को 11,662.55 बिंदुओं पर पहुंच गया यानी एक साल में करीब अस्सी प्रतिशत की बढ़ोत्तरी. उधर बीएसई का मिडकैप सूचकांक भी इस अवधि में 3122.25 बिंदुओं से बढ़कर 5580.43 बिंदुओं तक पहुंच गया यानी करीब 79 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी. यानी मिडकैप शेयरों की रफ़्तार भी तेज़ रही. भविष्य के मिडकैप शेयरों को अभी से तलाशने के लिए तमाम मुचुअल फंडों ने सिर्फ मिडकैप शेयरों पर केंद्रित योजनाएं भी शुरु की हैं. आप्रवासी भारतीय मिडकैप शेयरों में दो तरह से निवेश कर सकते हैं एक वे अपने विश्लेषण से ऐसे शेयर चुन कर उनमें पैसा लगा सकते हैं. दूसरे वे तमाम म्यूचुअल फंडों कि मिडकैप योजनाओं में निवेश कर सकते हैं. फ्रैंकलिन टेंपलटन, रिलायंस, एलायंस, सुंदरम्, यूटीआई, एचएसबीसी समेत लगभग सारे महत्वपूर्ण म्यूचुअल फंडों ने मिडकैप शेयर केंद्रित योजनाएं शुरु की हैं. म्यूचुअल फंड योजनाओं के जरिए निवेश कम जोखिम भरा है, क्योंकि इसमें निवेशक किन्ही एक-दो शेयरों की रोज के उतार-चढ़ाव से होने वाले सिरदर्द से बच जाते हैं. | इससे जुड़ी ख़बरें म्यूचुअल फ़ंड हैं कम जोखिम वाले विकल्प 28 मार्च, 2006 | कारोबार सूचकांक 11 हज़ार तक जा पहुँचा21 मार्च, 2006 | कारोबार प्रवासी भारतीयों ने भेजी सर्वाधिक रकम30 जनवरी, 2004 | कारोबार ब्रिटेन में सबसे अधिक वेतन पाने वालों में भारतीय 03 नवंबर, 2003 | कारोबार प्रवासी भारतीयों के लिए ब्याज दर घटी19 अक्तूबर, 2003 | कारोबार सिटी ग्रुप का भी मुनाफ़ा गिरा22 जनवरी, 2003 | कारोबार विदेशी निवेशक ख़रीदार रहे18 नवंबर, 2002 | कारोबार | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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