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बुधवार, 01 फ़रवरी, 2006 को 19:06 GMT तक के समाचार

अपूर्व कृष्ण
बीबीसी संवाददाता, लंदन

मित्तल स्टील के विरोध से भारत 'चिंतित'

भारत सरकार ने यूरोपीय स्टील निर्माता कंपनी आर्सेलर को ख़रीदने की मित्तल समूह की कोशिशों का फ्रांस द्वारा विरोध किए जाने पर चिंता प्रकट की है.

भारत के वाणिज्य मंत्री कमलनाथ ने यूरोपीय संघ के व्यापार आयुक्त पीटर मैंडेल्सन के साथ लंदन में भारतीय उच्चायोग में मुलाक़ात के बाद पत्रकारों को इसकी जानकारी दी.

कमलनाथ ने कहा,"भारत आर्सेलर और मित्तल स्टील के मुद्दे को ध्यान से देख रहा है और इस बारे में फ़्रांस सरकार की प्रतिक्रिया को भी देख रहा है."

उन्होंने कहा कि भारत ने फ्रांस की भवन सामग्रियों की निर्माता कंपनी ला-फ़ार्ज को भारत में आने पर काफ़ी सहयोग दिया था और अब फ्रांस का रवैया उससे उलट लग रहा है.

वहीं पीटर मैंडेल्सन ने भी कहा कि अगर उनके सामने ये मामला आता है तो वे ये देखेंगे कि मित्तल स्टील और आर्सेलर के सौदे में प्रतियोगिता के नियमों का उल्लंघन हुआ है कि नहीं.

बोली और विरोध

भारतीय उद्योगपति लक्ष्मीनिवास मित्तल की कंपनी मित्तल स्टील ने पिछले सप्ताह लक्ज़मबर्ग स्थित स्टील कंपनी को ख़रीदने के लिए लगभग 23 अरब डॉलर की बोली लगाई थी लेकिन आर्सेलर ने बोली ठुकरा दी.

मंगलवार को लक्ज़मबर्ग के प्रधानमंत्री ने कहा कि वे मित्त स्टील की बोली का विरोध करेंगे.

वहीं फ्रांस के प्रधानमंत्री डोमिनक़ द विलपां ने भी इस सौदे को 'एक अत्यंत अमित्रतापूर्ण मुद्दा' बताया.

फ़्रांस सरकार विशेष रूप से इस कारण चिंतित है क्योंकि इस कंपनी में फ्रांस के 28,000 नागरिक काम करते हैं.

हालाँकि आर्सेलर के बोली ठुकरान के बाद लक्ष्मी मित्तल ने कंपनी को कई तरह के आश्वासन दिए हैं और कहा है कि किसी भी कर्मचारी को नौकरी से नहीं निकाला जाएगा.

मित्तल स्टील

मित्तल स्टील के प्रमुख लक्ष्मीनिवास मित्तल दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति हैं.

भारतीय मूल के उद्योगपति और ब्रिटेन में बसे मित्तल ब्रिटेन के सबसे धनी व्यक्ति हैं.

कंपनी का मुख्यालय लंदन और हॉलैंड में है.

कंपनी का गठन वर्ष 2004 में तीन कंपनियों के विलय के बाद हुआ था और विलय के बाद से ही इसका कारोबार बहुत तेज़ी से बढ़ा.

मित्तल स्टील ने पिछले वर्ष यूक्रेन की सबसे बड़ी स्टील कंपनी को ख़रीदा था और फ़िलहाल 14 देशों में इसकी स्टील मिलें हैं.

मित्तल स्टील भारत के झारखंड राज्य में भी बड़े पैमाने पर पूंजी निवेश करने जा रही है.

अगर मित्तल स्टील एरसेलोर का अधिग्रहण कर लेती तो इसके बाद ये एक विशाल कंपनी का रूप ले लेती जिसमें ढाई लाख कर्मचारी होते और जिसका राजस्व 50 अरब डॉलर तक पहुँच जाता.

अधिग्रहण होने की सूरत में बननेवाली कंपनी दुनिया के कुल स्टील उत्पादन का 10 प्रतिशत हिस्सा बनाती.