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क्यूबा के लिए तेल खोजेगी ओएनजीसी | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
सार्वजनिक क्षेत्र की भारतीय तेल कंपनी ओएनजीसी ने मेक्सिको की खाड़ी में तेल खोजने के लिए क्यूबा सरकार के साथ समझौता किया है. अमरीकी भूगर्भ सर्वेक्षण के आँकड़ो के अनुसार क्यूबा से लगे समुद्र में पाँच अरब बैरल तक तेल मिल सकता है. मेक्सिको की खाड़ी के क्यूबा के नियंत्रण वाले बड़े हिस्से में अब तक तेल की खोज का काम नहीं किया जा सका है. उल्लेखनीय है कि क्यूबा पर अमरीकी आर्थिक प्रतिबंधों के कारण अमरीकी कंपनियाँ वहाँ तेल की खोज का काम नहीं कर सकती हैं. अभी तक समुद्र में ज़्यादा गहराई से तेल निकालने के काम को आर्थिक रूप से लाभकारी नहीं माना जाता था, लेकन तेल की बढ़ी क़ीमतों के कारण अब यह सेक्टर तेल कंपनियों के लिए आकर्षक हो गया है. भारतीय भागीदारी ओएनजीसी अगले साल से मेक्सिको की खाड़ी में तेल खोजने का काम शुरू कर सकती है. पहले ही कनाडा और स्पेन की कंपनियाँ 112,000 वर्ग किलोमीटर बड़े इस क्षेत्र में तेल की खोज कर रही है. अब भारतीय कंपनी भी इसमें भागीदारी कर सकेगी. भारत को उस इलाक़े में तेल खोजने का काम मिला है जहाँ स्पेनी कंपनी रीपसोल को पिछले साल तेल मिला था. हालाँकि तेल भंडार की मात्रा कम होने के कारण वहाँ तेल खोदना आर्थिक रूप से लाभदायक नहीं माना गया. समझौते की घोषणा करते हुए भारत के विदेश उपमंत्री राव इंदरजीत सिंह ने कहा कि भारत को गहरे समुद्र में तेल खोजने का व्यापक अनुभव है. उन्होंने कहा कि भारत की ऊर्जा ज़रूरतें भी लगातार बढ़ती जा रही है. इंदरजीत सिंह ने कहा, "भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले 15 वर्षों से सात से आठ प्रतिशत की दर से बढ़ रही है. इस विकास दर को बनाए रखने के लिए हमें ऊर्जा के साधन चाहिए. हम ऊर्जा के तमाम स्रोतों का लाभ लेने की कोशिश कर रहे हैं और क्यूबा उनमें से एक है." |
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