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मंगलवार, 31 मई, 2005 को 03:23 GMT तक के समाचार
 
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अमरीका जाएगा डब्लूटीओ की शरण में
 
एयरबस
एयरबस को सब्सिडी दिए जाने पर मतभेद है
अमरीका ने कहा है कि वह यूरोपीय संघ द्वारा विमान बनाने वाली कंपनी एयरबस को सब्सिडी दिए जाने का मामला विश्व व्यापार संगठन (डब्लूटीओ) में ले जाएगा.

अमरीकी व्यापार अधिकारियों का कहना है कि यह फ़ैसला इसलिए किया गया क्योंकि बातचीत से मसला हल करने की कोशिश सफल नहीं हो पाई.

इससे पहले सोमवार को यूरोप ने लंबे समय से चल रहे इस विवाद को हल करने के लिए नया प्रस्ताव रखा.

यूरोप के व्यापार आयुक्त पीटर मेंडलसन ने प्रस्ताव रखा था कि दोनों पक्ष विमान बनाने वाली कंपनियाँ एयरबस और बोइंग को देने वाली सब्सिडी कम करें.

मेंडलसन ने यह भी सलाह दी थी कि बाद में दोनों पक्ष सब्सिडी में और कमी करने पर विचार कर सकते हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार यूरोपीय संघ ने एयरबस ए350 को मिलने वाली सहायता में 30 प्रतिशत तक की कमी करने का प्रस्ताव रखा था.

आकलन है कि एयरबस ए350 परियोजना में तीन अरब डॉलर का ख़र्च आएगा जिसका एक तिहाई हिस्सा यूरोपीय देशों की सरकारों से मिलना है.

आरोप

मेंडलसन के प्रस्ताव पर टिप्पणी करते हुए अमरीका ने आरोप लगाया कि यूरोपीय संघ इस मामले पर प्रेस का इस्तेमाल कर रहा है. अमरीका का कहना है कि इस मामले में किसी भी पक्ष को अपना प्रस्ताव सार्वजनिक नहीं करना चाहिए.

अमरीका और यूरोपीय संघ इस मामले पर जनवरी से ही विचार-विमर्श कर रहे हैं. दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर आरोप लगाया है कि वे अपनी राष्ट्रीय कंपनी को बढ़ावा देकर विश्व बाज़ार को प्रभावित कर रहे हैं.

लेकिन अभी तक यह विवाद विश्व व्यापार संगठन में नहीं गया था. अमरीका का कहना है कि एयरबस के नए विमान के लिए यूरोपीय संघ ने 1.7 अरब डॉलर देने की तैयारी कर ली है और इस स्थिति में उसने यह मामला डब्लूटीओ के सामने ले जाने का फ़ैसला किया है.

अमरीका के व्यापार प्रतिनिधि रॉब पोर्टमैन ने कहा कि यूरोपीय संघ द्वारा अपनी योजना पर क़ायम रहने की बात करने के कारण अमरीका ये क़दम उठा रहा है.

इस नई प्रगति के बावजूद यूरोपीय संघ ने बोइंग के ख़िलाफ़ अपना मामला शुरू करने की घोषणा अभी नहीं की है.

 
 
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