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भविष्य निधि पर ब्याज दर 9.5 प्रतिशत | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
भारत सरकार के केंद्रीय ट्रस्टी बोर्ड (सीटीबी) ने कर्मचारियों के प्रोविडेंट फ़ंड यानी भविष्य निधि में जमा की गई राशि पर वर्ष 2004-05 के लिए साढ़े नौ प्रतिशत ब्याज देने की सिफ़ारिश की है. श्रम और रोज़गार मंत्री के चंद्रशेखर राव की अध्यक्षता में शनिवार को दिल्ली में बोर्ड की एक बैठक में यह फ़ैसला लिया गया. चंद्रशेखर राव ने बैठक के बाद बताया कि इस फ़ैसले से क़रीब चार करोड़ कर्मचारियों को फ़ायदा होगा जो भविष्य निधि के सदस्य हैं. राव के अनुसार इस फ़ैसले से सरकार को क़रीब 716 करोड़ रुपए का घाटा होगा जिसकी भरपाई 950 करोड़ रुपए के उस विशेष कोश से की जाएगी जो भविष्य निधि के लिए आरक्षित रखा गया है. राव ने पत्रकारों को बताया कि भविष्य निधि के सदस्यों को साढ़े नौ प्रतिशत की दर से भुगतान पर क़रीब 6885 करोड़ रुपए का ख़र्च आएगा. इससे पहले अनुमान लगाया गया था कि भविष्य निधि में जमा राशि पर क़रीब 5919 करोड़ रुपए का ब्याज अदा किया जाएगा. 31 मार्च, 2005 को समाप्त हुए वित्त वर्ष में भविष्य निधि में जमा राशि 79, 764.48 करोड़ रुपए की राशि आँकी गई थी. इसमें से 65.31 प्रतिशत राशि विभिन्न विशेष बचत योजनाओं में, 14.02 प्रतिशत सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों में लगाई गई है. 11.52 प्रतिशत केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों में निवेशित की गई है और 8.67 प्रतिशत राशि राज्य सरकारों को क़र्ज़ के रूप में दी गई है. ग़ौरतलब है कि भविष्य निधि में कर्मचारियों को अपने वेतन से हर महीने एक निश्चित रक़म कटवानी होती है जिस पर कर्मचारियों को रोज़गार देने वाली कंपनी भी उतना ही हिस्सा जमा कराती है. |
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