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गुरुवार, 24 फ़रवरी, 2005 को 20:30 GMT तक के समाचार
 
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निर्माण क्षेत्र में पूरा विदेशी निवेश खोला
 
कमलनाथ
भारत सरकार ने निर्माण क्षेत्र में शत प्रतिशत विदेशी निवेश के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है यानी अब मकान, होटल और पर्यटक स्थल बनाने की परियोजनाओं पर शत प्रतिशत विदेशी निवेश किया जा सकेगा.

गुरूवार को मंत्रिमंडल की एक बैठक में यह फ़ैसला किया गया. वाणिज्य मंत्री कमलनाथ ने इस फ़ैसले की जानकारी देते हुए कहा कि देश के बुनियादी ढाँचे में निवेश बढ़ाने और विकास के उद्देश्य से यह फ़ैसला लिया गया है.

सरकार के इस फ़ैसले से निर्माण क्षेत्र में सक्रिय उद्योगपतियों में ख़ुशी की लहर दौड़ गई है.

आर्थिक जानकारों का कहना है कि बुनियादी क्षेत्र में सुधार होने से विदेशी निवेशक आकर्षित होंगे जिससे अन्य क्षेत्रों में भी निवेश को बढ़ावा मिल सकेगा.

सरकार को उम्मीद है कि इससे रोज़गार बढ़ेगा जो अंततः सीमेंट, स्टील और ईंट उद्योग के लिए भी लाभाकरी होगा और देश के बुनियादी क्षेत्र में विकास होगा.

डीएलएफ़ बिल्डर्स के एक वरिष्ठ अधिकारी डॉक्टर वेंचेश्वर का कहना था, "इससे उपभोक्ताओं और निर्माण कंपनियों को भी बेहतर पेशकश की जा सकेंगी. हम तकनीक और साझेदारी के मामले में बेहतर मानकों को अपना सकेंगे और उपभोक्ताओं को भी अच्छे विकल्प उपलब्ध होंगे."

हालाँकि कम विकसित ज़मीन की बिक्री को इस दायरे में शामिल नहीं किया गया है ताकि भूसंपदा में विदेशी कंपनियों की जोड़तोड़ से बचा जा सके.

एक अंतरराष्ट्रीय भूसंपदा कंपनी सीबी रिचर्ड ईलिस के प्रबंध निदेशक अंशुमन मैगज़ीन का कहना था, "यह एक बड़ा और सकारात्मक क़दम है. इससे विदेशी निवेशकों की भारत में निवेश दिलचस्पी बढ़ेगी जिसका मतलब है कि निर्माण क्षेत्र में शत-प्रतिशत निवेश होने के साथ अन्य क्षेत्रों में भी अंतरराष्ट्रीय निवेश बढ़ेगा."

सिर्फ़ विदेशी निवेश...
 कोई भी देश सिर्फ़ विदेशी निवेश के सहारे पर विकास नहीं कर सकता.
 
चित्तब्रत मजूमदार, सीटू

मैगज़ीन का कहना था कि हालाँकि इस फ़ैसला का तत्काल कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आएगा लेकिन लेकिन उन्हें अपेक्षा है कि इस साल विदेशी निवेश ज़रूर आना शुरू हो जाएगा.

भारत निर्माण क्षेत्र में पहले ही विदेश निवेश को मंज़ूरी दी हुई है लेकिन अधिकतम क्षेत्र की सीमा बाँधने से इसे कोई ख़ास कामयाबी नहीं मिली. उस योजना के तहत विदेशी निवेशकों को कम से कम 100 एकड़ ज़मीन का विकास करना ज़रूरी है.

अब यह सीमा घटाकर पचास हज़ार वर्ग मीटर कर दी गई है जिससे विदेश निवेश बढ़ने की उम्मीद की जा रही है.

'आत्मनिर्भरता'

हालाँकि साम्यवादी संगठन सेंटर ऑफ़ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) के चित्तब्रत मजूमदार का कहना है कि सीधे विदेशी निवेश को मंज़ूरी देने से देश की 'आत्मनिर्भरता' की स्थिति पर समझौता है.

उन्होंने कहा, "कोई भी देश सिर्फ़ विदेशी निवेश के सहारे पर विकास नहीं कर सकता."

मजूमदार का कहना था कि यह आकलन किया जाना चाहिए कि क्या विदेशी निवेश वास्तव में रोज़गार और धन के मामले में देश के लिए हितकारी भी है या नहीं या यह सिर्फ़ अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की जेबें भरने का एक सौदा साबित होगा.

 
 
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