वे ईरानी महिलाएं जो हिजाब न पहनने के लिए 'क़ैद-ए-तन्हाई' और कोड़े खाने के लिए तैयार हैं

    • Author, कैरोलाइन हॉले
    • पदनाम, डिप्लोमेटिक संवाददाता

आज़ाद, दोन्या और बहारेह एक दूसरे से परिचित नहीं हैं. इनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इनके नाम बदले गए हैं.

ये महिलाएं ईरान की थियोक्रेटिक सरकार और उसकी ओर से महिलाओं और बच्चियों पर 45 साल से लगाए गए ड्रेस कोड की मुख़ालिफ़त करने को लेकर दृढ़ संकल्पित हैं.

ऐसे में, ये महिलाएं, हर रोज़ ईरान की राजधानी तेहरान में स्थित अपने घरों से सिर ढंके बिना निकलती हैं.

संगीत की शिक्षा लेने वाली बीस साल की छात्रा दोन्या एक एनक्रिप्टेड एप पर कहती हैं, “ये काफ़ी डरावना है, क्योंकि वे किसी भी वक़्त आपको गिरफ़्तार कर सकते हैं और आप पर जुर्माना लगा सकते हैं."

"आप पर कोड़े बरसाकर टॉर्चर कर सकते हैं. सामान्यतः: गिरफ़्तार किए जाने पर 74 कोड़े लगाए जाते हैं."

74 कोड़ों की सज़ा

पिछले महीने एक 33 वर्षीय कुर्दिश-ईरानी एक्टिविस्ट रोया हेश्माती ने सार्वजनिक रूप से कहा कि उनकी एक तस्वीर सार्वजनिक होने के बाद उन्हें 74 कोड़े लगाए गए.

लेकिन दोन्या, आज़ाद और बहारेह कहती हैं कि अब वे अपने कदम वापस नहीं खींच सकतीं.

दोन्या कहती हैं, “ये काफ़ी प्रतीकात्मक है, क्योंकि ये सरकार का ईरान में महिलाओं को प्रताड़ित करने का प्रमुख हथकंडा है. अगर मैं सिर्फ इसी तरह विरोध प्रदर्शन कर सकती हूं और अपनी आज़ादी के लिए एक कदम उठा सकती हूं. तो मैं ये करूंगी.”

इन तीनों महिलाओं ने इसके साथ ही इस हफ़्ते के आख़िर में होने वाले संसदीय चुनाव में मतदान नहीं करके विरोध प्रदर्शन करने का फ़ैसला किया है.

ये महसा अमीनी के पक्ष में हुए महिलाओं के विरोध प्रदर्शनों और सरकार की ओर से उन्हें कुचले जाने के बाद पहला संसदीय चुनाव है.

साल 2022 के सितंबर महीने में बाइस वर्षीय महिला महसा अमीनी की पुलिस हिरासत में मौत होने के बाद ईरान में महिलाओं की ओर से व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शन देखे गए थे.

इसके बाद सरकार की ओर से इन विरोध प्रदर्शनों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की गई थी.

महसा अमीनी को मॉरेलिटी पुलिस ने अपना हेड स्कार्फ़ ठीक से नहीं पहनने की वजह से हिरासत में लिया था. सार्वजनिक रूप से हिजाब नहीं पहनने पर क़ैद और प्रताड़ना जैसी सज़ाएं देने का प्रावधान है. लेकिन कई महिलाएं फिर भी ऐसा करती हैं.

34 वर्षीय एचआर मैनेज़र आज़ाद मुझे कहती हैं, “ये सच है कि लोग पहले की तरह सड़कों पर उतरकर जोरदार अंदाज़ में प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं, लेकिन हमारे दिलों में ये सरकार पूरी तरह ख़त्म हो चुकी है और इसके किसी भी काम को मैं स्वीकार नहीं करती. ऐसे में उनके लिए अपनी असहमति जताने का एक तरीका वोट नहीं देना होगा.” 

क़ैद-ए-तन्हाई की सज़ा

आज़ाद को साल 2022 के अक्टूबर में गिरफ़्तार कर एक महीने तक क़ैद में रखा गया था. इसके बाद पिछले साल जुलाई में उन्हें एक बार फिर गिरफ़्तार कर लिया गया.

इस बार उन्हें इसलिए गिरफ्तार किया गया था, क्योंकि उन्होंने सोशल मीडिया पर सरकार की आलोचना की थी. इसके लिए उन्हें 120 दिनों तक जेल में रहना पड़ा. इसमें से 21 दिन तक उन्हें क़ैद-ए-तन्हाई यानी सबसे अलग-थलग रखा गया.

वे कहती हैं, “क़ैद-ए-तन्हाई उतनी बुरी जगह थी, जितनी आप कल्पना कर सकते हैं. कोठरी का दरवाज़ा हर वक़्त बंद रहता था. इस कोठरी का आकार एक मीटर x डेढ़ मीटर था. बाहर से रोशनी बिलकुल नहीं आती थी. अंदर लगी लाइट रात-दिन जलती रहती थी. जब हमें टॉयलेट ले जाया जाता था तो हमारी आंखों पर पट्टी बांधी जाती थी.”

आज़ाद इससे इतना परेशान हुईं कि उन्होंने कोठरी पर अपना सिर मारा और वह आज भी उसे लेकर सदमें में हैं.

आजाद बताती हैं कि उनसे पूछताछ का सिलसिला सुबह आठ बजे शुरू होकर देर रात तक चलता था.

वह कहती हैं, “इसे व्हाइट टॉर्चर कहते हैं और ये एक हज़ार कोड़ों से बदतर होता है. वे मुझे धमकियां देते थे और मुझे अपमानित करते थे, लेकिन मैं उनका मज़ाक उड़ाया करती थी.”

इतना कुछ झेलने के बाद भी आज़ाद आज भी हिजाब पहने बिना बाहर जाकर जेल जाने का जोखिम उठाने के लिए तैयार हैं.

ईरान में अब कई महिलाएं हिजाब के बिना ही घर से बाहर निकलती हैं. हालांकि, इनमें से कुछ महिलाएं अपने गले में हिजाब डाले रखती हैं ताकि मोरेलिटी पुलिस से आमना-सामना होने पर इस्तेमाल किया जा सके.

लेकिन मुझे बताया गया है कि पांच में से एक महिला रोज़मर्रा के जीवन में बहादुरी, विरोध और सिद्धांत के आधार पर हिजाब बिलकुल भी नहीं पहन रही है.

आज़ाद मुझे संदेश भेजते हुए कहती हैं, “मैं कभी भी हार नहीं मानूंगी.”

इसके साथ ही वह अपने मैसेज़ में एक दिल और जीत का इमोजी लगाती हैं.

हिजाब के बिना काम पर जाने की इजाज़त नहीं

लेकिन तेहरान में मेरी मुलाक़ात एक ऐसी महिला से हुई जिसने बताया कि वह सरकार के ख़िलाफ़ विरोध करते-करते थक गयी है.

बहारेह एक 39 वर्षीय रिपोर्टर और फ़िल्म आलोचक हैं. उन्हें घर से काम करने के लिए अपनी तनख़्वाह में भारी कटौती का सामना करना पड़ा है क्योंकि ऑफ़िस जाने पर उन्हें परदा करने के लिए विवश किया जाता.

उन्होंने कहा, “मैं निराश हूं और थक गई हूं. मुझे हिजाब पहने बिना काम पर जाने की इजाज़त नहीं है और मैं इसे पहनना नहीं चाहती.”

अब उन्हें अपने पति की तनख़्वाह पर निर्भर रहना पड़ रहा है. हाल ही में हिजाब पहने बिना गाड़ी चलाने पर पुलिस ने उन्हें रोककर उनकी गाड़ी ज़ब्त कर ली थी.

उन्हें भी पिछले साल इंस्टाग्राम पर हिजाब पहने बिना अपनी तस्वीर शेयर करने एवं दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए गिरफ़्तार किया गया था.

एक रिवॉल्युशनरी कोर्ट ने उनके ख़िलाफ़ जुर्माना लगाने के साथ ही छह महीने की सज़ा सुनाई, लेकिन कारावास की सज़ा रद्द कर दी गयी.

वे कहती हैं, “मुझे अपमानित करके धमकाया गया. मुझे कहा गया कि मैं ग़लत हूं और मुझ पर लोगों को क्रांति और नंगापन करने के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया.”

मैंने बहारेह से पूछा कि उनके मुताबिक़ उन्हें जेल क्यों नहीं भेजा गया.

इस पर वह कहती हैं, “क्योंकि जेलें लोगों से भरी हुई हैं और वे चाहते हैं कि मुझ जैसे लोगों को सिर्फ डराया जाए.”

वे कहती हैं, “मैं अभी भी बाहर जाती हूं, लेकिन ये काफ़ी मुश्किल है, क्योंकि रेस्त्रां और किताबों की दुकानों को मुझे हिजाब के बिना अंदर आने देने के लिए बंद किया जा सकता है. मैं इससे बहुत निराश होती हूं.”

हमारे बीच ये तय हुआ कि हम बातचीत ख़त्म होने के साथ ही अपनी बातचीत डिलीट कर देंगे. ये बताता है कि वह मुझसे बात करते हुए पकड़े जाने पर कितनी डरी हुई हैं.

वे कहती हैं, “फिर मैं आपको ब्लॉक कर दूंगी. मेरे पास कोई विकल्प नहीं है. अगर मैं गिरफ़्तार हो गई तो कोई मेरी मदद नहीं करेगा और मुझ पर जासूसी करने का आरोप लग जाएगा और मुझे मौत की सज़ा सुना दी जाएगी.”

ईरानी सत्ता को चुनौती देती हुईं तमाम ईरानी महिलाओं में भय और साहस साथ-साथ देखा जा सकता है. इसके साथ ही उनमें गुस्सा और उम्मीद भी नज़र आती है.

जब चादर ओढ़े महिलाओं ने टोका

दोन्या हाल ही में अपने पिता के साथ थिएटर गयी थीं. वह गर्माहट के लिए हैट पहने हुई थीं. लेकिन मेट्रो में जब उन्होंने इसे उतार दिया तो कुछ पुरुषों और औरतों ने उस पर चिल्लाते हुए हिजाब पहनने के लिए कहा.

ये महिलाएं पूरा शरीर ढंकने वाली चादर पहने हुई थीं और तेहरान में मॉरेलिटी पुलिस की महिला पुलिसकर्मी पूरा शरीर ढकने वाली चादर पहनती हैं.

वे कहती हैं, “मेरे पास हिजाब नहीं था. सिर्फ मेरा हैट था और मैंने अपनी ज़िद की वजह से हैट नहीं पहना. ये काफ़ी डरावना था. मैं उन लोगों को नज़रअंदाज़ करते हुए चलती रही. वहां उनकी मौजूदगी इतनी ज़्यादा थी कि पूरे स्टेशन पर वही लोग थे.”

लेकिन जब दोन्या ने किसी को ये कहते सुना कि इस लड़की को वैन में लेकर जाओ’ तो उन्होंने पुनर्विचार किया.

वे कहती हैं, “मैं बुरी तरह घबरा गई और मेरे पिता भी डर गए. तो मैंने हैट पहन लिया.”

दोन्या सिर्फ़ अपनी यूनिवर्सिटी में घुसते हुए अपना सिर ढंकती हैं, क्योंकि इसके बिना उन्हें यूनिवर्सिटी में घुसने की इजाज़त नहीं मिलेगी. हालांकि, वह और उसके साथ अन्य लोग अपने क्लासरूम में हिजाब हटा देते हैं.

वे कहती हैं, “मेरे दोस्तों और मुझे लगता है कि काश हम लोग भी गर्म कपड़ों के साथ शानदार हेयरस्टाइल रख सकें, जैसा दूसरे देशों में होता है. लोग महसा की मौत से पहले तक सोए हुए थे, लेकिन अब वे ज़्यादा जाग्रत हैं.”

“उन विरोध प्रदर्शनों की वजह से इतनी सारी महिलाएं सड़क पर हिजाब पहनने से इनकार करती हैं, लेकिन वे दबाव और मृत्युदंडों की ख़बरों से भी परेशान हैं. ये काफ़ी मुश्किल और थकाने वाला सफर है.”

वह बताती हैं कि लोग अभी भी सार्वजनिक दीवारों पर ग्रैफिटी बनाते हैं और स्टेट टीवी को बॉयकॉट करते हैं.

वे कहती हैं, “मैं लोगों को हर रोज़ बदलाव के लिए संघर्ष करते देखती हूं. मुझे अपनी पीढ़ी में विश्वास है. हम दमन सहन नहीं कर सकते. लोग सड़कों पर डांस, चियर करने और गाने का कोई न कोई मौका निकाल लेते हैं क्योंकि डांसिंग अवैध है.

आज़ाद भी अजनबियों की ओर से दिखाई जाती एकजुटता और सरकार के ख़िलाफ़ एक नए तरह की एकता को लेकर उत्साहित हैं.

वे कहती हैं कि हिजाब पहनने वाली महिलाएं उसे सिर नहीं ढंकने के लिए प्रोत्साहित करती हैं और उसे विश्वास है कि 45 साल तक सत्ता में रहने के बाद इस्लामिक रिपब्लिक के दिन गिने-चुने रह गए हैं.

वे कहती हैं, “क्रांति होगी, लेकिन किसी को नहीं पता कि ऐसा कब होगा.”

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