पाकिस्तान ने कहां छिपाया है अपने परमाणु हथियारों का जख़ीरा? अमेरिकी रिपोर्ट ने उठाया पर्दा

अमेरिका के शीर्ष परमाणु वैज्ञानिकों के मुताबिक़ पाकिस्तान के पास इस वक़्त कुल 170 परमाणु हथियार (वॉरहेड) हैं जिन्हें देश के विशेष सैन्य ठिकानों पर रखा गया है.

अगर पाकिस्तान इसी गति से अपने जख़ीरे में इज़ाफ़ा करता रहा तो वर्ष 2025 तक उसके परमाणु हथियारों की संख्या 200 तक पहुँच सकती है.

11 सितंबर को जारी बुलेटिन ऑफ़ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स में बताया गया है कि इन परमाणु हथियारों को ले जाने वाली छोटी और लंबी दूरी की मिसाइलों को देश के किन किन हिस्सों में रखा गया है.

परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम मिसाइलों और उनके मोबाइल लॉन्चर इस्लामाबाद के पश्चिम में काला चिट्टा दहर पर्वत शृंखला में स्थित नेशनल डिफ़ेंस कॉम्प्लेक्स में विकसित किए जा रहे हैं.

सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि इस कॉम्प्लेक्स के दो हिस्से हैं. पश्चिमी हिस्से में मिसाइलों और रॉकेट इंजन का विकास, उत्पादन और टेस्टिंग की जाती है.

जबकि फ़तेह जंग के उत्तर में पूर्वी हिस्से में, सड़क द्वारा ले जाए जाने वाले ट्रांस्पोर्टर इरेक्टर लॉन्चर्स (टीइएल) बनाए जाने के सबूत मिले हैं.

जून 2023 की तस्वीर से पता चलता है कि यहां नस्र, शाहीन-1ए बैलिस्टिक मिसाइलों और बाबर क्रूज़ मिसाइल के लिए बने ट्रांस्पोर्टर इरेक्टर लॉन्चर्स की चेसिज़ भी मौजूद हैं.

बैलिस्टिक मिसाइल

रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के पास मौजूदा समय में तुरंत इस्तेमाल की जा सकने वाले छह परमाणु सक्षम बैलिस्टिक मिसाइलें हैं.

इनमें कम दूरी की अब्दाली (हत्फ़-2), ग़ज़नवी (हत्फ़-3), शाहीन-आई/ए (हत्फ़-4) और नस्र (हत्फ़-9) और मध्यम दूरी की गौरी (हत्फ़-5) और शाहीन-2 (हत्फ़-6) हैं.

दो अन्य परमाणु हथियार सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम विकसित किए जा रहे हैं- मध्यम दूरी की शाहीन-3 और एमआईआरवीईडी अबाबील.

अब्दाली, गौरी, शाहीन-2 और अबाबील को छोड़ कर सभी परमाणु सक्षम मिसाइलें 2021 के पाकिस्तान डे परेड में प्रदर्शित की जा चुकी हैं.

साल 2022 के पाकिस्तान डे परेड में नस्र, गौरी, शाहीन-1ए के साथ साथ बाबर-1A और राड-2 का प्रदर्शन किया गया था. पिछले दो दशकों में सड़क से ला सकने वाले बैलिस्टिक मिसाइलों के लॉन्चर को लेकर काफी विकास और विस्तार हुआ है.

परमाणु मिसाइलों के कितने ठिकाने

बुलेटिन ऑफ़ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स की रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि पूरे पाकिस्तान में मिसाइलों के 8-9 भंडार बनाए गये हैं जिनमें छोटी दूरी वाली मिसाइलों (बाबर, ग़ज़नवी, शाहीन-1, नस्र) के 4-5 ठिकाने भारतीय सीमा से सटे इलाक़ों में स्थित हैं.

देश के अंदरूनी हिस्सों में तीन से चार सैन्य ठिकाने हैं जहां मध्यम दूरी की मिसाइलें (शाहीन-2 और गौरी) रखी गई हैं.

रिपोर्ट में लिखा गया है कि ये सटीक तौर नहीं कहा जा सकता कि पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम मिसाइलों को कितने बेस हैं. लेकिन व्यासायिक सैटेलाइटों से मिली तस्वीरों से पता चलता है कि पाकिस्तान में परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम कम से कम पांच मिसाइल ठिकाने हैं.

हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016 से इनकी संख्या में बहुत बदलाव नहीं आया है.

इन पांच मिसाइल ठिकानों की लिस्ट इस प्रकार है-

आक्रो मिलिट्री बेस

यह सिंध प्रांत में हैदराबाद से 18 किलोमीटर उत्तर में और भारतीय सीमा से 145 किलोमीटर दूर स्थित है.

यहां छह मिसाइल गैराज हैं, जो 12 लॉन्चर्स के लिए बनाए गए हैं.

इस सैन्य बेस का विस्तार 2004 से ही चल रहा है. सैटेलाइट तस्वीरों में दिख रहे वाहनों के विश्लेषण से पता चलता है कि पांच एक्सेल वाले ट्रांस्पोर्टर इरेक्टर लॉन्चर्स बाबर क्रूज़ मिसाइल हथियार सिस्टम के लिए हैं.

बाबर की मारक क्षमता 450 से 700 किलोमीटर है. इसे समंदर के अंदर से लॉन्च करने के लिए भी पाकिस्तान लॉन्चर बना रहा है.

गुजरांवाला मिलिट्री बेस

गुजरवाला सैन्य बेस पाकिस्तान का सबसे बड़ा मिलिटरी कॉम्प्लेक्स है. यह पंजाब प्रांत के उत्तरपूर्वी हिस्से में 30 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है.

इसकी भारतीय सीमा से दूरी 60 किलोमीटर है.

सैटेलाइट तस्वीरों में जो मिसाइल लॉन्चर दिख रहे हैं उससे पता चलता है कि ये छोटी दूरी की नस्र मिसाइलों के लिए हैं.

नस्र मिसाइल की मारक क्षमता 60 किलोमीटर है.

खुज़दार

यह मिसाइल ठिकाना बलूचिस्तान प्रांत के सक्कर से लगभग 220 किलोमीटर पश्चिम में है. यह भारत की सीमा से सबसे दूर स्थित मिसाइल ठिकानों में से एक है.

आक्रो की तरह यहां परमाणु हथियार रखने के लिए अंडरग्राउंड गोदाम बनाए गए हैं.

सैटेलाइट तस्वीरों में जो लॉन्चर्स दिख रहे हैं, उससे अंदाज़ा लगता है कि ये परमाणु हथियार सक्षम गौरी या शाहीन-2 मिसाइल के लिए हैं.

पानो अक़िल

सिंध प्रांत में भारतीय सीमा से 60 किलोमीटर दूर स्थित इस सैन्य ठिकाने में लॉन्चर्स के गैराज और टीइएल दिखते हैं.

इन तस्वीरों से पता चलता है कि ये बाबर और शाहीन-1 मिसाइलों के लिए हैं.

सरगोधा

1983 से 1990 के बीच अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम के लिए पाकिस्तान ने किराना हिल्स में स्थित इस विशाल कॉम्प्लेक्स का इस्तेमाल किया था.

यहां 10 टीइएल गैराज हैं और दो अन्य गैराज हैं जो रखरखाव के लिए इस्तेमाल के लिए लगते हैं.

ज़मीन और समंदर से लॉंच करने वाली मिसाइलें

बाबर (हत्फ़-7) अमेरिका की टॉमहॉक मिसाइल जैसी है जिसकी रफ़्तार ध्वनि से कम है. ये समंदर से लॉन्च की जा सकने वाली क्रूज़ मिसाइल है.

ज़मीन से लॉन्च की जा सकने वाली बाबर-1 मिसाइल की रेंज 600 से 700 किलोमीटर है. हालांकि अमेरिकी खुफ़िया एजेंसियों ने इसकी रेंज को 350 किलोमीटर आंका था.

पाकिस्तान का दावा है कि बाबर-2 की रेंज 700 किलोमीटर है. बाबर-3 की रेंज भी इतनी है लेकिन इसे समंदर से लॉन्च करने के लिए विकसित किया गया है.

बाबर-3 से पाकिस्तान की तीन पनडुब्बियों को लैस किया जाएगा- ख़ान, पांडा और नारंग. हालांकि अभी नई बनडुब्बियों की तैनाती में देरी है, लेकिन इनमें परमाणु हथियार से लैस बाबर-3 मिसाइलों की तैनाती संभव है.

इसके साथ ही पाकिस्तान बाबर क्रूज मिसाइल का एक वैरिएंट हारबाह विकसित कर रहा है. इसे 2022 में लड़ाकू पोतों में तैनात भी कर दिया गया है.

पाकिस्तान के प्रवक्ता ने हारबाह को हर मौसम में सक्षम एक सबसोनिक मिसाइल बताया था. इसकी रेंज 290 किलोमीटर है.

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