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रूस-यूक्रेन युद्ध के दो सालों में रूस में क्या क्या बदला?
कुछ दिन पहले जब मैं रूसी लोगों को विपक्षी नेता एलेक्सी नवेलनी को याद करते हुए एक सार्वजनिक स्थान पर फूल रखते देख रहा था तभी एक शख़्स ने मेरे क़रीब आकर जेल में नवेलनी की मौत पर प्रतिक्रिया दी.
उन्होंने कहा, “मैं दंग हूं. ठीक वैसे ही जैसे दो साल पहले था जब 24 फरवरी को युद्ध की शुरुआत हुई थी.”
इस बात ने मुझे हर उस चीज़ के बारे में सोचने के लिए मजबूर किया जो रूसी राष्ट्रपति पुतिन की ओर से फुल-स्केल युद्ध का एलान करने के बाद रूस में घटी हैं.
ये त्रासदी और खून-खराबे से भरी तमाम घटनाओं की सूची है–
- रूस का युद्ध यूक्रेन के लिए मौत और तबाही लेकर आया है. रूसी सेना को भी इससे काफ़ी नुकसान हुआ है.
- रूसी कस्बे गोलाबारी के साथ-साथ ड्रोन हमलों के शिकार हुए.
- लाखों रूसी युवाओं को सेना में भर्ती किया गया
- वागनर गुट के लड़ाकों ने विद्रोह करके मॉस्को की ओर से मार्च किया. कुछ समय बाद इस गुट के नेता येवगेनी प्रिगोज़िन की एक विमान हादसे में मौत हुई.
- इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने कथित युद्ध अपराधों के मामले में रूस के राष्ट्रपति के ख़िलाफ़ अरेस्ट वॉरंट जारी किया.
- व्लादिमीर पुतिन के सबसे मुखर आलोचक एलेक्सी नवेलनी की मौत हुई.
बीस साल पहले वाले पुतिन
24 फरवरी, 2022 एक ऐतिहासिक दिन था. लेकिन पीछे पलटकर देखें तो यहां तक आने की दिशा स्पष्ट रही है.
रूस ने साल 2014 में यूक्रेन से क्राइमिया छीनकर उस पर कब्जा कर लिया और दोनबास में सैन्य हस्तक्षेप किया.
साल 2020 में एलेक्सी नवेलनी पर नर्व एजेंट से हमला किया. और साल 2021 में उन्हें गिरफ़्तार किया गया.
रूस में आवाज़ों को दबाने का सिलसिला यूक्रेन युद्ध से पहले ही जारी था. लेकिन युद्ध शुरू होने के बाद इसमें तेजी दर्ज की गयी है.
व्लादिमीर पुतिन की बात करें तो युद्ध शुरू होने के दो साल बाद भी वह देश और विदेश में अपने शत्रुओं को हराने के लिए दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास से भरे नज़र आते हैं.
वह अमेरिका, नेटो और यूरोपीय संघ की आलोचना करते हुए रूस की ओर से यूक्रेन के ख़िलाफ़ छेड़ी गयी जंग को पश्चिमी देशों की ओर से रूस पर किया गया सामूहिक हमला बताते हैं. वह इस युद्ध को अपने देश के लिए अस्तित्व की लड़ाई की संज्ञा देते हैं.
ये कब और कैसे ख़त्म होगा? मैं भविष्य नहीं बता सकता, लेकिन पुरानी घटनाएं याद कर सकता हूं.
हाल ही में अपने घर की अलमारी में मुझे एक धूल खाती हुई फाइल मिली जिसमें बीस साल पहले रूस से भेजे गए मेरे डिस्पैच संकलित थे.
ये उस दौर की रिपोर्ट्स थीं जब व्लादिमीर पुतिन का उदय हो रहा था. इन पन्नों को पलटते हुए मुझे ऐसा लगा कि जैसे मैं लाखों प्रकाश-वर्ष दूर किसी दूसरी गैलेक्सी के बारे में पढ़ रहा हूं.
मैंने साल 2001 की 17 मई को लिखा कि ‘हालिया पोल के मुताबिक़, 59 फीसद रूसी लोग रूस के यूरोपीय संघ में शामिल होने की बात का समर्थन करते हैं.”
“नेटो और रूस सक्रिय रूप से एक दूसरे के क़रीब आने की कोशिश कर रहे हैं. ये दोनों पक्षों के लिए एक संकेत है कि विश्व शांति को दोनों पक्षों से कोई ख़तरा नहीं है.”
फिर ये सब कुछ पटरी से कैसे उतर गया? मैं अकेला शख़्स नहीं हूं जो इस बारे में सोच रहा है.
कितने बदले पुतिन
हाल ही में मेरी नेटो के पूर्व चीफ़ लॉर्ड रॉबर्ट्सन से लंदन में एक मुलाक़ात हुई.
लॉर्ड रॉबर्ट्सन ने बताया था, “मैं जिस पुतिन से मिला था उसने नेटो और रूस के बीच अच्छे संबंध कायम किए थे. मौजूदा पुतिन बिलकुल अलग है.”
“मई 2002 में मेरे साथ खड़े होकर पुतिन ने कहा था कि यूक्रेन एक संप्रभु और स्वतंत्र राष्ट्र है जो सुरक्षा के बारे में अपने फ़ैसले ख़ुद करेगा. अब वही व्यक्ति कह रहा है कि यूक्रेन कोई राष्ट्र ही नहीं है.”
लॉर्ड रॉबर्ट्सन कहते हैं कि उस दौर में तो पुतिन रूस के लिए नेटो की सदस्यता के बारे में सोचते थे.
उन्होंने मुझे बताया, “पुतिन के साथ मेरी दूसरी बैठक में उन्होंने मुझे पूछा - आप रूस को नेटो में शामिल होने के लिए कब बुला रहे हैं? मैंने कहा - हम किसी को आमंत्रित नहीं करते हैं, नेटो जॉइन करने के लिए आवेदन देना होता है.”
उसके बाद पुतिन ने कहा, “हम उन देशों के साथ नेटो जॉइन करने की कतार में शामिल नहीं हो सकते जिनकी कोई अहमियत नहीं है.”
लॉर्ड रॉबर्टसन बताते हैं कि वो जानते थे कि पुतिन नेटो की सदस्यता के बारे में गंभीर नहीं थे.
वे कहते हैं, “वो चाहते थे कि ये सदस्यता उन्हें तोहफ़े के तौर पर मिले. उनका विचार था कि रूस एक महान देश है जिसे वही सम्मान मिलना चाहिए जो एक ज़माने में सोवियत यूनियन का था.”
'बढ़ता अहंकार'
लॉर्ड रॉबर्टसन कहते हैं कि सोवियत यूनियन एक सुपर पॉवर था लेकिन रूस उस ख़िताब का सही हक़दार नहीं है.
वे कहते हैं, "मेरे विचार से इस बात से पुतिन के अहंकार को चोट लगी थी. इसके अलावा कई अवसरों पर पश्चिमी देशों की कमज़ोरी, उकसावे और पुतिन के ख़ुद के घमंड ने हालात यहां तक पहुँचा दिए हैं. इस सब चीज़ों ने उस व्यक्ति को बदल दिया जो कभी नेटो के साथ सहयोग करने पर विचार कर रहा था और अब नेटो को किसी ख़तरे के तौर पर देखता है.”
रूसी अधिकारी कहते हैं कि युद्ध की वजह नेटो का पूर्व की ओर विस्तार है.
उनका आरोप है कि नेटो रूस को दिए गए उस वादे से मुकर रहा है जिसमें कहा गया था कि वो सोवियत संघ का हिस्सा रहे देशों को अपने साथ नहीं जोड़ेगा.
लॉर्ड रॉबर्टसन कहते हैं, “देखिए ऐसा कुछ भी लिखित तौर पर नहीं है. किसी बात पर सहमति नहीं बनी थी, कोई समझौता नहीं हुआ था. खुद पुतिन ने 28 मई 2002 को रोम में एक घोषणा पर हस्ताक्षर किए थे. उसी कागज पर मेरे भी साइन हैं. उसमें देशों की संप्रभुता और हस्ताक्षेप न करने के मौलिक सिद्धांतो पर सहमति जताई गई थी. अब वो इस बात से इंकार नहीं कर सकते.”
मास्को से 40 मील दूर सोलनेकनोगोर्स्क नाम शहर में रूसी इतिहास के दो नाटकीय वर्षों का इतिहास देखा जा सकता है.
पार्क में मैंने वागनर ग्रुप के पक्ष में ग्रैफ़िटी देखी. एलेक्सी नवेलनी की याद में लोगों ने फूल भी इस पार्क में रखे हैं.
इसके अलावा यूक्रेन की जंग में मारे गए दो रूसी सैनिकों के भित्ति चित्र भी लगे हुए हैं.
शहर में दूसरे विश्व युद्ध और अफ़ग़ानिस्तान में मारे गए सैनिकों के लिए भी एक मेमोरियल है.
इसी में अब यूक्रेन में मरने वालों को भी जोड़ा जा रहा है.
मेमोरियल में 46 नाम दर्ज हैं.
यहां मुझे लिडिया पेट्रोव्ना मिलीं जो अपने पोते के साथ आई हुई हैं. मैंने उनसे पूछा कि पिछले दो वर्षों में क्या बदला है?
लिडिया पेट्रोव्ना कहती हैं, “अब हम वो सामान भी खु़द बना रहे हैं जो बाहर से मंगवाना पड़ता था. लेकिन मुझे युद्ध में मरने वाले नौजवानों के लिए बहुत दुख है. हमें पश्चिमी देशों के साथ युद्ध नहीं करना चाहिए. हमारे लोगों ने अपने जीवन में बहुत लड़ाइयां देख ली हैं.”
वहीं, मौजूदा मरीना अपने 17 साल के पुत्र अंद्रेई की ओर देखते हुए कहती हैं, “एक मां के तौर पर मुझे डर है कि मेरे बेटे को जंग में बुला लिया जाएगा. मैं चाहती हूं कि जल्द से जल्द शांति बहाल हो ताकि हमें भविष्य का डर न सताए."
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