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यूपी पुलिस बोली- एसएचओ को हटाने के लिए की गौ हत्या, बजरंग दल के कार्यकर्ता गिरफ़्तार- प्रेस रिव्यू
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद ज़िले में पुलिस ने बजरंग दल के पदाधिकारियों को 'गोवध निवारण अधिनियम' के तहत गिरफ़्तार किया है.
हिंदुस्तान टाइम्स की ख़बर के अनुसार, इस संगठन के सदस्यों पर कथित तौर पर दुर्भावना के तहत गायों के कंकाल कुछ स्थानों पर रखने के आरोप में कार्रवाई की गई है.
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि 16 और 28 जनवरी को छजलैट थाना क्षेत्र में पाए गए गाय के कंकालों के मामले में बजरंग दल के मुरादाबाद ज़िला प्रमुख समेत चार लोगों की गिरफ़्तारी हुई है.
मुरादाबाद के एसएसपी हेमराज मीणा ने कहा कि गिरफ़्तार किए गए लोगों की पहचान सुमित बिश्नोई उर्फ़ मोनू, राजीव चौधरी, रमन चौधरी और शहाबुद्दीन के तौर पर हुई है.
मीणा ने कहा, “शहाबुद्दीन ने सुमित बिश्नोई और राजीव चौधरी के कहने पर गाय के कंकाल फेंके ताकि छजलैट थाना प्रभारी को हटाया जा सके और इस मामले में एक ऐसे व्यक्ति को फंसाया जा सके, जिसकी शहाबुद्दीन से रंजिश थी.”
उन्होंने बताया, "छजलैट पुलिस स्टेशन में तैनात सब इंस्पेक्टर नरेंद्र कुमार को अभियुक्तों के साथ मिलीभगत के लिए निलंबित किया गया है.”
अख़बार के मुताबिक़, छजलैट पुलिस स्टेशन के प्रभारी सत्येंद्र शर्मा ने पुष्टि की है कि अभियुक्त सुमित बिश्नोई मुरादाबाद बजरंग दल के ज़िला प्रमुख हैं, जबकि राजीव चौधरी ब्लॉक स्तर के कार्यकर्ता हैं.
एसएसपी हेमराज मीणा ने कहा, "जब 28 जनवरी को दूसरा कंकाल मिला तो जांच बढ़ाई गई. इस बार गौ रक्षकों ने एक वीडियो पोस्ट करके वरिष्ठ अधिकारियों से स्थानीय थाना प्रभारी के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की थी."
उन्होंने बताया कि जांच के दौरान शहाबुद्दीन नाम के शख़्स का नाम सामने आया और पूछताछ करने पर उने सारी साज़िश की जानकारी दे दी.
मुरादाबाद पुलिस ने इस मामले में प्रेस नोट जारी करते हुए लिखा है, "पहला कंकाल छजलेट पुलिस थाने के तहत समद गांव के नज़दीक कंवर पथ के पास मिला था. इसके बाद बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया था और स्थानीय थाना प्रभारी और महमूद नाम के शख़्स पर कार्रवाई की मांग की थी."
"इस मामले में उत्तर प्रदेश गोवध निवारण अधिनियम के तहत अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया था. जांच में महमूद की संलिप्तता न पाए जाने पर उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं की गई थी."
प्रेस नोट में लिखा है, "दूसरी बार जब कंकाल रखा गया तो एक्स (पहले ट्विटर) पर एक वीडियो पोस्ट किया गया. ऐसा एसएचओ को हटाने के इरादे से किया गया था. इन्होंने शहाबुद्दीन से रंजिश के चलते महमूद को फंसाने की भी कोशिश की थी, मगर साज़िश अभियुक्तों पर ही भारी पड़ी."
तो दक्षिण को करनी पड़ेगी अलग देश की मांग: कांग्रेस सांसद
बेंगलुरु ग्रामीण से कांग्रेस सांसद डी.के. सुरेश ने कहा है कि अगर उत्तर भारतीय राज्यों और दक्षिणी राज्यों में विकास के लिए बराबर फ़ंड नहीं बांटा गया तो दक्षिणी राज्यों को अलग देश के बारे में सोचना पड़ सकता है.
द हिंदू की ख़बर के अनुसार, डी.के. सुरेश ने कहा कि उत्तर और दक्षिण भारत के राज्यों में फंड बाँटने में अन्याय हो रहा है और इसमें दक्षिण की अनदेखी हो रही है.
उन्होंने कहा, “हम हर लिहाज़ से अन्याय देख रहे हैं. अगर हम इसकी निंदा न करें तो ऐसी स्थिति पैदा हो सकती कि हमें (दक्षिणी राज्यों को) अलग देश की मांग करनी पड़ सकती है.”
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा अंतरिम बजट पेश किए जाने के बाद दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए डी.के. सुरेश ने यह बात की.
कर्नाटक से कांग्रेस के इकलौते लोकसभा सांसद ने कहा, “हमसे 4 लाख करोड़ रुपये टैक्स के रूप में लिए जा रहे हैं लेकिन बदले में हमें क्या मिल रहा है?”
“अगर 16वें वित्त आयोग ने इसे ठीक नहीं किया तो दक्षिण भारत के सभी राज्यों को अपनी आवाज़ उठाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.”
बीजेपी ने सुरेश के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है, “एक ओर तो कांग्रेस नेता राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर निकले हैं लेकिन उनके सांसद भारत तोड़ो का आह्वान कर रहे हैं.”
कर्नाटक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आर. अशोक ने एक्स पर लिखा है, “यह कांग्रेस की वही मानसिकता है, जिसके कारण भारत का विभाजन हुआ. देश की संप्रुभता और अखडंता की रक्षा करने की शपथ लेने वाले सांसद भारत के विभाजन की मांग कर रहे हैं.”
अमेरिका ने दी भारत को ड्रोन बेचने को मंज़ूरी
अमेरिकी विदेश विभाग ने गुरुवार को अमेरिकी संसद को आधिकारिक सूचना दी है कि उसने भारत को 31 एमक्यू -9बी ड्रोन और इससे जुड़ी सैन्य उपकरण बेचने को मंज़ूरी दे दी है.
यह सौदा 3.99 अरब डॉलर का है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की ख़बर के अनुसार, कुछ अमेरिकी सांसद इस सौदे के विरोध में थे. उनका कहना था कि इस सौदे को तभी पूरा किया जाए, जब खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कथित साज़िश में भारत सार्थक जांच करे.
ऐसी ख़बर आई थी कि भारतीय मूल के अमेरिकी सांसदों समेत कुछ अमेरिकी सांसदों ने इस सौदे में अड़चनें डाल दी थीं. मगर अमेरिकी की डिफ़ेंस सिक्यॉरिटी कोऑपरेशन एजेंसी (डीएससीए) ने इस सौदे के लिए ज़रूरी अनुमति देकर संसद को सूचित किया है.
अख़बार के मुताबिक़, अमेरिकी अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि इस मामले में सांसदों के कुछ सवाल थे, जिनका निदान किया गया है मगर यह एक सामान्य प्रक्रिया है.
डीएससीए ने एक बयान जारी करके कहा है, "इस प्रस्तावित सौदे से विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों के हिसाब से भारत के साथ अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी को मज़बूत करने में मदद मिलेगी. साथ ही, उस अहम रक्षा सहयोगी देश की सुरक्षा बढ़ाने में मदद मिलेगी, जो इंडो-पैसिफ़िक और दक्षिण एशिया में राजनीतिक स्थिरता, शांति और आर्थिक प्रगति के लिए अहम है."
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