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संस्कृत में शपथ लेने वाले राजस्थान के दो मुस्लिम विधायक कौन हैं?
- Author, मोहर सिंह मीणा
- पदनाम, जयपुर से बीबीसी हिंदी के लिए
राजस्थान विधानसभा में 20 और 21 दिसंबर को नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाई गई. इस दौरान दों विधायकों ने संस्कृत भाषा में पद और गोपनीयता की शपथ ली है.
इसके बाद से ही इन दोनों की चर्चा हो रही है. संस्कृत में शपथ लेने वाले ये विधायक हैं, कांग्रेस के ज़ुबैर ख़ान और बीजेपी से बगावत कर निर्दलीय जीते यूनुस ख़ान.
राजस्थान विधानसभा की 200 में से 199 सीटों पर चुनाव कराए गए थे. इनमें विधायकों में से 191 विधायकों ने 20 दिसंबर को विधानसभा में शपथ ली. वहीं आठ विधायकों ने 21 दिसंबर को शपथ ली.
अलवर की रामगढ़ सीट से जीते कांग्रेस विधायक ज़ुबैर ख़ान और बीजेपी से बागी हो कर डीडवाना सीट से निर्दलीय चुनाव जीते यूनुस ख़ान ने संस्कृत भाषा में शपथ ली.
ज़ुबैर ख़ान की पत्नी सफिया ज़ुबैर ख़ान पिछली बार विधायक चुनी गईं थी. इस बार कांग्रेस ने सफिया ख़ान का टिकट काट कर उनके पति ज़ुबैर ख़ान को टिकट दिया. ज़ुबैर ख़ान चौथी बार विधायक चुने गए हैं.
सफिया ज़ुबैर ख़ान ने अशोक गहलोत सरकार में कांग्रेस विधायक रहते हुए विधानसभा में मेवात के एक मामले पर चर्चा के दौरान खुद को राम और कृष्ण का वंशज बताया था.
संस्कृत में शपथ लेने वाले दूसरे विधायक यूनुस ख़ान वसुंधरा राजे सरकार में कैबिनेट मंत्री थे.
राजे के समर्थक माने जाने वाले यूनुस ख़ान ने पिछला विधानसभा चुनाव टोंक सीट पर सचिन पायलट के ख़िलाफ़ लड़ा था.
क्या कहना है यूनुस ख़ान का?
संस्कृत में शपथ लेने पर हो रही चर्चाओं पर यूनुस ख़ान ने बीबीसी से कहा, "मुसलमानों ने भी बहुत एप्रिशियेट किया कि वर्तमान हालात में अच्छा काम किया."
वह कहते हैं, "भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में अधिकृत भाषाओं में से संस्कृत एक है. ये हमारे भारत की प्राचीनतम भाषा है."
संस्कृत का इतिहास बताते हुए खान कहते हैं, "वेद, पुराण और रामायण संस्कृत में लिखे गए हैं. संस्कृत हमारे हिंदुस्तान की सभी भाषाओं की जननी है और मैं हिंदुस्तानी हूं. संस्कृत में हमारे देश की सबसे समृद्ध और प्राचीनतम भाषा है, मुझे फक्र है मैंने संस्कृत में शपथ ली है."
वो कहते हैं, "शपथ लेने के लिए हमारे पास तीन विकल्प थे. अंग्रेज़ी यानी मैं अंग्रेज़ों की भाषा में शपथ लेता. हिंदी और संस्कृत."
संस्कृत में ही क्यों? इस सवाल पर ख़ान कहते हैं, "संस्कृत में मैंने इसलिए उचित समझा कि हमारी प्राचीनतम चीज़ें धीरे-धीरे लुप्त हो रही हैं, उन्हें हम नहीं अपनाएंगे तो कौन अपनाएगा? संस्कृत हमारी भारतीय भाषा है."
युनुस ख़ान ने स्कूली शिक्षा के दौरान संस्कृत विषय की पढ़ाई की है. वह कहते हैं, "मैंने आठवीं कक्षा तक संस्कृत पढ़ी है. साल 1976-77 में मेरे माता-पिता ने मुझे स्कूल में संस्कृत भाषा दिलवाई. वे अनपढ़ थे और उस समय उन्होंने मुझे संस्कृत की पढ़ाई करवाई."
पोस्ट ग्रेजुएट तक की पढ़ाई करने वाले युनुस ख़ान और भी कई भाषाओं के जानकर हैं.
वो कहते हैं, "मुझे उर्दू, अरबी, हिंदी और अंग्रेज़ी भाषा भी आती है. मैं संस्कृत अच्छे से पढ़-बोल सकता हूं क्योंकि मैंने पढ़ी है."
इस पर लोगों की प्रतिक्रिया बताते हुए वह कहते हैं, "शपथ लेने के बाद बहुत लोगों ने तारीफ़ की, मुझे अच्छा लगा. संस्कृत के विद्यालय और महाविद्यालयों के प्रिंसिपल, संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति और संस्कृत के विद्वानों ने फ़ोन कर एप्रिशिएट किया."
'संस्कृत पर किसी का पेटेंट नहीं'
ज़ुबैर ख़ान चौथी बार विधायक बने हैं. वह कहते हैं, "मैं 1993 में दूसरी बार विधायक बना था. तब भी मैंने संस्कृत में ही शपथ ली थी. तब तो बीजेपी का पूरा उदय भी नहीं हुआ था."
वह कहते हैं, "संस्कृत हमारी प्राचीन भाषा है. हम भारत के भारतीय मुसलमान हैं, यहां की संस्कृति और यहां के संविधान को मानते हैं. यहां के भाईचारे को मानते हैं, हम हर धर्म का आदर करते हैं."
वो कहते हैं, "धर्म तो बाद में बने हैं, संस्कृत बहुत पहले की भाषा है. संस्कृत पर किसी धर्म का पेटेंट नहीं है. जब धर्मों का ज्ञान नहीं हुआ तब से संस्कृत है."
ज़ुबैर ख़ान ने बारहवीं कक्षा तक संस्कृत विषय की पढ़ाई की है. वह कहते हैं, "संस्कृत मेरा विषय रहा है. मैंने सीनियर सेकेंडरी तक संस्कृत की पढ़ाई की है. दूसरी बार संस्कृत में शपथ ली है."
संस्कृत में शपथ के बाद लोगों कि प्रतिक्रिया के सवाल पर वो कहते हैं, "यह लोगों को अच्छा लगा कि मुसलमान हो कर संस्कृत में शपथ ले रहे हैं."
वो कहते हैं, "संस्कृत कोई एक धर्म की भाषा नहीं है. संस्कृत पर सबका अधिकार है. कोई भी धर्म किसी भाषा और किसी भी धर्म के खिलाफ़ शिक्षा नहीं देता है. सब मानवता, करुणा और पुण्य का रास्ता दिखाते हैं. सबका आदर करने की शिक्षा देना ही भारत की संस्कृति और भारत का इतिहास है."
वहीं पूर्व विधायक सफिया ज़ुबैर ख़ान कहती हैं, "संस्कृत हमारे देश की प्राचीन भाषा है. अल्पसंख्यक विधायकों का संस्कृत में शपथ लेना यह दर्शाता है कि अल्पसंख्यक लोग काफ़ी सेक्युलर माइंडेड हैं और सभी को साथ लेकर चलने में विश्वास रखते हैं."
संस्कृत में शपथ का चलाया अभियान
विधानसभा में बीस बीजेपी, एक निर्दलीय और एक कांग्रेस विधायक ने संस्कृत में शपथ ली है.
संस्थान राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचारधारा की समर्थक संस्था संस्कृत भारती के जयपुर के प्रांत मंत्री डॉ कृष्ण कुमार का कहना है कि उनकी संस्था ने नव निर्वाचित विधायकों से मिल कर उन्हें संस्कृति में शपथ ग्रहण करने का आग्रह किया था.
उन्होंने कहा, "हमने अपने कार्यकर्ताओं की टीम बनाईं और कई विधायकों से संपर्क कर संस्कृत में शपथ लेने का आग्रह किया. हम बालमुकुंद आचार्य, गोपाल शर्मा समेत कई विधायकों तक पहुंचे."
वे बताते हैं, "हमने विधानसभा की पत्रावली से शपथ का फॉर्मेट मंगवा कर संस्कृत में एक परिपत्र तैयार करवाया. एक ऑडियो भी तैयार करवाया जिससे उनका उच्चारण भी शुद्ध हो सके."
वो कहते हैं, "संस्कृत किसी वर्ग विशेष की भाषा नहीं है, संस्कृत भारतीयता का प्रतीत है. संस्कृत से समाज विशेष, वर्ग विशेष या धर्म विशेष का कोई संबंध नहीं है. संस्कृत को सब लोग मानते हैं और सब इसको अपनाते हैं."
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