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सीरिया: अलेप्पो में विद्रोहियों के ख़िलाफ़ रूस ने किए हवाई हमले, जानिए कौन हैं विद्रोही, वहां क्या हैं हालात
सीरिया में एक बार फिर से विद्रोही गुटों और सरकार के बीच संघर्ष तेज़ हो गया है. ब्रिटेन स्थित सीरियन ऑब्ज़र्वेटरी फ़ॉर ह्यूमन राइट्स (एसओएचआर) के मुताबिक़ ताज़ा संघर्ष में अब तक 370 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
एसओएचआर के मुताबिक़, दक्षिण की तरफ बढ़ रहे विद्रोहियों को रोकने के लिए रूस ने रविवार को तड़के सीरिया में कई हवाई हमले किए हैं.
एसओएचआर ने इस सिलसिले में ताज़ा जानकारी दी है और बताया है कि रूस ने इदलिब और हमा के ग्रामीण इलाक़ों को निशाना बनाया, जहां विद्रोही हमले का नेतृत्व करने वाले समूह ने "हाल ही में नियंत्रण कर लिया है."
शनिवार को हुआ ये हमला साल 2016 के बाद से अलेप्पो पर रूस के पहले हमले के बाद हुआ है, जब विद्रोहियों ने सीरिया के दूसरे सबसे बड़े शहर के अधिकांश हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया था.
बड़े शहरों की तरफ बढ़े विद्रोही
एसओएचआर ने बताया कि विपक्षी लड़ाके शनिवार को सीरिया के दूसरे सबसे बड़े शहर अलेप्पो के दक्षिण में स्थित हमा के निकट ग्रामीण इलाक़ों के कई कस्बों में घुस गए. हमा सीरिया का चौथा सबसे बड़ा शहर है.
एसओएचआर ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा है, "सेना ने अब इलाक़े के कई शहरों और कस्बों के चारों ओर "रक्षा की एक लकीर खींच दी है."
शनिवार को सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद ने "सभी विद्रोहियों और उनके समर्थकों से मुक़ाबले और सीरिया की स्थिरता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने" की कसम खाई है.
बशर अल-असद के कार्यालय ने उनके एक बयान का ज़िक्र करते हुए कहा है, "देश अपने सहयोगियों और मित्रों की सहायता से विद्रोहियों को हराने और ख़त्म करने में सक्षम है, चाहे उनके हमले कितने भी बड़े क्यों न हों."
सीरिया में बीते कई सालों से जारी गृहयुद्ध में अब तक क़रीब पांच लाख़ लोग मारे गए हैं. इसकी शुरुआत साल 2011 में तब हुई थी, जब बशर अल-असद सरकार ने लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनों के दमन की कार्रवाई की थी.
यहां साल 2020 में हुए युद्धविराम समझौते के बाद से संघर्ष काफ़ी हद तक शांत रहा है, लेकिन विपक्षी ताकतों ने उत्तर-पश्चिमी शहर इदलिब और आसपास के प्रांत के ज़्यादातर हिस्से पर नियंत्रण बनाए रखा है.
इदलिब शहर अलेप्पो से केवल 55 किलोमीटर दूर है. साल 2016 में सरकारी सेना से हार के पहले तक ये शहर विद्रोहियों का गढ़ हुआ करता था.
सीरिया में इन ताज़ा हमलों का नेतृत्व हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) नामक इस्लामी चरमपंथी समूह और तुर्की समर्थित उसके सहयोगी गुटों ने किया है.
एचटीएस को असद सरकार के ख़िलाफ़ लड़ने वाले सबसे प्रभावी और घातक गुटों में से एक माना जाता था और यह पहले से ही इदलिब में एक प्रमुख ताक़त थी.
क्या कही रही है सेना?
एसओएचआर के मुताबिक़ विद्रोहियों ने अलेप्पो हवाई अड्डे और आसपास के दर्जनों शहरों पर नियंत्रण कर लिया है.
उन्होंने रात के दौरान कर्फ्यू की भी घोषणा की जो स्थानीय समयानुसार 17:00 बजे से लागू हो गया.
एसओएचआर ने यह भी कहा कि विद्रोही लड़ाके दक्षिण में हमा की ओर बढ़ गए हैं और सीरियाई सेना वहीं से पीछे हट गई है.
हालाँकि शनिवार रात सीरियाई सरकारी मीडिया में एक सैन्य सूत्र के हवाले से इस दावे को खारिज कर दिया गया.
सीरियाई सेना ने कहा है कि विद्रोहियों ने "अलेप्पो और इदलिब मोर्चों पर कई दिशाओं से बड़े हमले किए हैं" और यह लड़ाई "100 किलोमीटर से ज़्यादा इलाक़े में" हुई है.
सीरियाई सेना ने कहा कि इसमें उसके दर्जनों सैनिक मारे गये हैं.
रूसी वायु सेना ने गृहयुद्ध के भीषण दौर में बशर अल-असद को सत्ता में बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. रूसी सेना ने शनिवार को अलेप्पो में हवाई हमले किए.
साल 2016 में सीरिया की सरकारी सेना को शहर पर फिर से कब्ज़ा दिलाने में मदद करने के बाद, रूस का अलेप्पो पर किया गया यह पहला हमला है.
एसओएचआर ने बताया कि शनिवार को इदलिब पर नौ और रूसी हमले हुए.
तस्वीरों में शनिवार को अलेप्पो से बाहर जाने वाली सड़कों पर कारों की वजह से जाम दिखाई दे रहा था. लोग इस शहर से निकलने की कोशिश कर रहे थे और शहर के आसमान में धुआं उठता दिख रहा था.
अलग-अलग देशों की प्रतिक्रिया
इस सप्ताह की शुरूआत में हुए विद्रोहियों के हमले सीरिया के गृह युद्ध में सबसे महत्वपूर्ण संघर्ष है. इसलिए दुनिया के कई देशों की नज़र इस संघर्ष पर है.
नज़र डालते हैं किस देश के इस मामले में क्या कहा है.
सीरिया के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत गीएर ओ पेदरसन ने कहा है ताज़ा संघर्ष इस मुल्क में शांति बहाल करेन की के "नाकाम होने की निशानी है."
उन्होंने कहा, "सीरिया और प्रमुख अंतरराष्ट्रीय पक्षों को संघर्ष से बाहर निकलने का रास्ता खोजने के लिए सार्थक और ठोस बातचीत में गंभीरता से शामिल होने की ज़रूरत है. इसके बिना, सीरिया में और ज़्यादा विभाजन और तबाही का ख़तरा है."
अमेरिका
सीरिया के ताज़ा हालात पर अमेरिका ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. अमेरिका ने गृह युद्ध के दौरान विद्रोही गुटों का समर्थन किया था.
अमेरिका ने कहा है कि सीरिया की "रूस और ईरान पर निर्भरता" और साल 2015 की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद शांति योजना पर आगे बढ़ने से इनकार करने के कारण देश में "ऐसे हालात पैदा हुए हैं."
अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय व्हाइट हाउस ने इस मामले पर बयान जारी किया है.
इसमें कहा गया है, "हम सीरिया में स्थिति पर बारीकी से नज़र रख रहे हैं और पिछले 48 घंटों से क्षेत्र में दूसरे मुल्कों के साथ संपर्क में हैं."
"अमेरिका अपने भागीदारों और सहयोगियों के साथ मिलकर तनाव कम करने, नागरिकों और अल्पसंख्यक समूहों की सुरक्षा और एक गंभीर और भरोसेमंद राजनीतिक प्रक्रिया की अपील करता है."
ईरान
ईरान सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद के प्रमुख सहयोगियों में से एक है. ईरान के शीर्ष राजनयिक अब्बास अराक्ची ताज़ा हालात पर चर्चा करने के लिए रविवार को सीरिया की राजधानी दमिश्क पहुंचे हैं जहां वो बशर अल-असद से मुलाक़ात करने वाले हैं.
ईरान के विदेश मंत्री अराक्ची इसके बाद तुर्की की यात्रा करेंगे. तुर्की सीरिया में मौजूद कुछ विद्रोहियों गुटों के समर्थन करता है.
कौन हैं हयात तहरीर अल-शाम विद्रोही?
सीरिया में विद्रोही गुटों ने बुधवार को सीरियाई सरकार के ख़िलाफ़ बड़ा हमला शुरू किया था. इस हमले के बाद शनिवार तक उन्होंने देश के दूसरे सबसे बड़े शहर अलेप्पो के "बड़े हिस्से" पर नियंत्रण कर लिया था.
इस हमले की वजह से साल 2016 के बाद से पहली बार रूस ने अलेप्पो पर हमला किया और सीरियाई सरकार की सेना को शहर से वापस निकलना पड़ा.
इस हमले का नेतृत्व इस्लामी चरमपंथी समूह हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) ने किया था. इस संगठन का सीरियाई संघर्ष में शामिल रहने का लंबा इतिहास रहा है.
एचटीएस की स्थापना साल 2011 में 'जबात अल-नुसरा' के नाम से हुई थी. ये समूह चरमपंथी संगठन अल क़ायदा का प्रत्यक्ष सहयोगी था.
इस संगठन को बनाने में इस्लामिक स्टेट (आईएस) समूह के नेता अबू बक्र अल-बग़दादी की भी अहम भूमिका थी.
इसे राष्ट्रपति बशर अल-असद के ख़िलाफ़ लड़ रहे सबसे असरदार और घातक गुटों में से एक माना जाता था.
बीबीसी मध्य पूर्व मामलों के संवाददाता सेबास्टियन अशर कहते हैं, "ऐसा लगता है कि क्रांतिकारी उत्साह की बजाय जिहादी विचारधारा ही इसके पीछे की प्रेरणा थी. उस समय 'फ्री सीरिया' के बैनर तले मुख्य विद्रोही गठबंधन के साथ इसके मतभेद भी देखे गए थे."
साल 2016 में इस संगठन के नेता अबू मोहम्मद अल-जवलानी ने सार्वजनिक तौर पर अल क़ायदा से नाता तोड़ लिया. उन्होंने 'जबात अल-नुसरा' को भंग कर दिया और एक नया संगठन स्थापित किया.
एक साल बाद इस संगठन में कई अन्य समान विचारधाना वाले गुटों का विलय हुआ और इसका नाम 'हयात तहरीर अल-शाम' पड़ा.
विद्रोही गुटों की आपसी लड़ाई
पिछले चार वर्षों से सीरिया के हालात से ऐसा लग रहा था कि वहाँ गृह युद्ध समाप्त हो गया है.
यहां के प्रमुख शहरों में राष्ट्रपति बशर अल-असद का निर्विरोध शासन है, लेकिन देश के कुछ हिस्से अभी भी उनके नियंत्रण से बाहर हैं.
इनमें पूर्व में कुर्द बहुल क्षेत्र शामिल हैं, जो संघर्ष के शुरुआती वक्त से ही सीरियाई सरकार के नियंत्रण से कमोबेश बाहर हैं.
देश के दक्षिणी इलाक़े में, जहां असद शासन के ख़िलाफ़ साल 2011 में विद्रोह शुरू हुआ था, वहाँ कुछ हद तक अपेक्षाकृत शांत विद्रोह जारी है.
विशाल सीरियाई रेगिस्तान में खुद को इस्लामिक स्टेट कहने वाले समूह के लोग अभी भी सुरक्षा के लिए ख़तरा बने हुए हैं, ख़ासकर ट्रूफ़ल (एक तरह की फफूंद) के सीज़न के दौरान, जब लोग इसकी तलाश में इस इलाक़े में आते हैं.
इसके अलावा उत्तर-पश्चिम में इदलिब प्रांत पर जिहादी और विद्रोही गुटों का कब्ज़ा रहा है, जो गृहयुद्ध के दौरान यहां आ गए थे.
इदलिब कई साल तक जंग का मैदान बना रहा है, क्योंकि सीरिया की सरकारी सेना यहां फिर से अपना नियंत्रण करना चाहती है.
लेकिन साल 2020 में रूस और तुर्की की मध्यस्थता के बाद युद्धविराम समझौता हुआ था. ये युद्धविराम काफ़ी हद तक सफल भी रहा.
इसराइल के हमलों की भूमिका
रूस लंबे समय से राष्ट्रपति बशर अल-असद का प्रमुख सहयोगी रहा है, जबकि तुर्की कुछ विद्रोही गुटों का समर्थन करता रहा है.
इदलिब में क़रीब 40 लाख लोग रहते हैं. इनमें से अधिकांश लोग उन कस्बों और शहरों से विस्थापित हो गए हैं, जिन्हें बशर अल-असद की सेना ने भीषण युद्ध के बाद वापस जीता था.
सीरिया में अलेप्पो वो जगह है जो सबसे खूनी जंग के मैदान का गवाह बना था.
यहां विद्रोहियों की बड़ी हार हुई थी. विद्रोदियों को पीछे खदेड़ने के लिए बशर अल-असद ने रूसी वायु सेना और ज़मीन पर मुख्य रूप से ईरान से मदद ली. इनमें हिज़्बुल्लाह भी शामिल था.
हाल के वक्त में, लेबनान में इसराइल के हमले से हिज़्बुल्लाह को बड़ा झटका लगा. इसके अलावा इसराइल ने सीरिया में ईरान के वाणिज्य दूतावास पर भी हमले किए.
इसमें कोई संदेह नहीं है कि हाल में हुई इन घटनाओं ने इदलिब के विद्रोही गुटों को अलेप्पो पर अचानक अप्रत्याशित हमला करने का फ़ैसला लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
पिछले कुछ समय से एचटीएस ने अपनी ताक़त का केंद्र इदलिब में बनाया है, जहां वह वास्तविक स्थानीय प्रशासन चलाता है. हालांकि कथित मानवाधिकार हनन की वजह से उसके प्रशासन की वैधता के लिए उसकी कोशिशों को झटका लगा है.
यह गुट वहां के अन्य गुटों के साथ भी झगड़ों में शामिल रहा है.
अल क़ायदा से नाता तोड़ने के बाद से इसका लक्ष्य सीरिया में कट्टरपंथी इस्लामी शासन स्थापित करने तक सीमित हो गया, जैसा कि आईएस ने करने की कोशिश की थी. हालांकि इसमें वो नाकाम रहा.
ताज़ा हमलों से पहले, इस गुट ने सीरियाई संघर्ष को फिर से बड़े पैमाने पर भड़काने और देश के अधिकांश भाग पर बशर अल-असद सरकार को चुनौती देने की कोशिश जैसा कोई संकेत नहीं दिया था.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित