चारपाई, चौकी और माल्टा...इमरान के लोगों को अजीबोगरीब सिंबल, फिर भी लोग पहचान ही गए: ब्लॉग

    • Author, मोहम्मद हनीफ़
    • पदनाम, इस्लामाबाद से बीबीसी के लिए

लीजिए पाकिस्तान में चुनाव हो गए हैं, मतपत्र गिने जा चुके हैं और शायद ही कभी कोई ऐसा सीधा नतीजा आया हो.

इमरान खान जेल में बैठे-बैठे ही चुनाव जीत गए हैं. जो लोग खुलेआम प्रचार और रैलियां करते थे, वे हार कर भी कह रहे हैं कि देश को हम ही बचा सकते हैं.

नवाज़ शरीफ़ साहब जनता की ओर हवाई चुंबन, जिसे अंग्रेजी में फ़्लाइंग किस कहते हैं, उछालते थे और कहते थे आई लव यू. फिर वो लोगों से पूछते थे कि डु यू लव मी?.

पूर्व वज़ीर-ए-आज़म का फ्लाइंग किस

तीन बार वज़ीर-ए-आज़म रह चुका शख़्स जब ऐसी बात करता है तो लोग भी कह देते हैं आई लव यू.

लेकिन जब चुनाव हुए तो पता चला कि चुंबन किसी को और वोट किसी और को...साईयाँ किसी से और बधाईयाँ किसी को.

नवाज़ शरीफ़ ने हार कर भी जीतने वाली तक़रीर की और कहा कि मैं जीता तो नहीं हूं लेकिन कृपा करें और मुझे एक मौक़ा और दें.

बिलावल भुट्टो साहब जन्म से ही वज़ीर-ए-आज़म हैं, लेकिन तीसरे नंबर पर आए हैं, वह जवान भी हैं और सोच रहे होंगे कि इस बार नहीं तो अगली बारी मेरी है.

लोगों ने नवाज़ शरीफ़ या बिलावल को नहीं हराया है बल्कि पर्याप्त वोट भी दिए हैं. उन्होंने उन लोगों को हराया जिन्होंने सोचा था कि वे जिसे चाहें, उसे जीता सकते हैं.

पहले कहते थे नवाज़ शरीफ़ चोर है, मोदी का यार है. फिर नहला-धुला कर उन्हें आगे कर दिया और लोगों से कहा कि ये लीजिए अपना अगला वज़ीर-ए-आज़म.

इमरान ख़ान के उम्मीदवारों के चुनाव निशान

अब पाकिस्तानियों को वोट देने का मौका पांच-सात साल बाद ही मिलता है और चुनावों में धोखाधड़ी और धांधली होती है, वोट भी बेचे जाते हैं लेकिन लोग अपना मन बना लेते हैं. इस चुनाव में उन्होंने इमरान ख़ान को वोट देकर काफ़ी फ़जीहत भी मोल ली है.

हमारे वर्दीधारी समझदार लोगों ने सोचा कि इमरान ख़ान के बिना उनकी पार्टी कुछ भी नहीं है. इसके नेताओं को डरा-धमका दो और बहुत से डर भी गए, फिर ख़ान को जेल में बंद करो, चुनाव से एक सप्ताह पहले जेल की सज़ा दो.

इमरान ख़ान को क्पा सज़ा मिली? पहले राष्ट्रीय शत्रुता में, फिर चोरी में और अंत में कि तुमने बहुत जल्दी शादी कर ली है, एक और जेल की सज़ा.

उन्होंने सोचा था कि लोगों को मालूम हो गया है कि ख़ान अब पक्के जेल में है और अब वह वज़ीर-ए-आज़म नहीं बनेगें और लोग घर से बाहर नहीं निकलेंगे.

इसके अलावा, उनका एक और विचार था कि ख़ान का बल्ला छीन लो और उन्हें मतपत्र पर ख़ान का उम्मीदवार ही नहीं मिलना चाहिए.

ख़ान के उम्मीदवारों को चुनाव निशान ऐसे बाँटे गए जैसे किसी ग़रीब के घर का सामान हो. किसी को चारपाई, किसी को चौकी, किसी को प्याली, प्लेट, गधा गाड़ी, किसी को माल्टा तो किसी को गाजर.

पता यह चला कि देश इतना भी गँवार नहीं है, जितना कि आप हमें समझते हैं. उसने ख़ान के आदमी को ढूंढ़कर पर्ची पर इतनी मोहरें लगा दीं कि वोट इकट्ठा करने वाले लोग भी असमंजस में पड़ गए कि इतने वोट कहाँ लपेटे जाएं.

इमरान ख़ान के दुश्मनों की उम्मीद

इमरान ख़ान को जेल में डाल दिया गया लेकिन उन्होंने जेल में बैठे-बैठे ही सबकी नींद उड़ा दी. पाकिस्तान के हर राजनेता को कभी न कभी जेल में कुछ समय गुज़ारना पड़ता है.

ख़ान के दुश्मनों के लिए सबसे बड़ी उम्मीद यह थी कि इमरान ख़ान हमेशा ही सुख-सुविधा में रहने वाले व्यक्ति रहे हैं, उन्हें कभी भी कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ा है.

अपनी जवानी में वह विदेश रहे. वह भी राजकुमारों की तरह. ऐसा लगता था कि जैसे ब्रिटेन की महारानी ने उन्हें गोद लिया हो. वह पाकिस्तान में भी एक बड़े पहाड़ पर हवेली बनाकर रहते हैं.

साथ ही वे यह भी कहते थे कि वह थोड़ा अय्याश आदमी है. चार दिन जेल में रह लेगा तो सीधा हो जाएगा. पैरों पर गिरेगा, माफ़ी मांगेगा और हट जाएगा.

अब हमें नहीं पता कि ख़ान साहब के पास जेल में कोई छोटी-मोटी अय्याशी की सुविधा है या नहीं, लेकिन चुनाव के नतीजे जेल में उन तक ज़रूर पहुँच गए होंगे.

कोई नेता चाहे जेल में हो या बाहर, इतना बड़ा चुनाव जीतने से बड़ी कोई अय्याशी नहीं हो सकती.

और अब बाक़ी नेता सरकार बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. इमरान ख़ान जेल में बैठे हँस रहे हैं और साथ ही वह उठक-बैठक कर के अगले मैच की तैयारी भी कर रहे हैं.

(ये लेखक का निजी विचार है.)

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