सिद्धू मूसेवाला की मां ने आईवीएफ़ के ज़रिए दूसरे बच्चे को जन्म दिया, क्या है ये तकनीक और किन बातों का रखें ध्यान

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पंजाबी पॉप गायक सिद्धू मूसेवाला की मां चरण कौर और पिता बलकौर सिंह के घर दूसरे बच्चे का जन्म हुआ है.

22 मई, 2022 को सिद्धू मूसेवाला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

नवजात बच्चे के नाम को लेकर शुभदीप सिंह (सिद्धू मूसेवाला) के पिता बलकौर सिंह ने रविवार को कहा कि यह बच्चा उनके लिए बिल्कुल शुभदीप जैसा ही है.

सिद्धू मूसेवाला का असली नाम शुभदीप था.

बच्चे के जन्म के बाद बड़ी संख्या में लोग सिद्धू मूसेवाला के घर और उनके गांव में बधाई देने और खुशियां बांटने पहुंच रहे हैं.

इस मौके पर मनोरंजन जगत से जुड़ी हस्तियों के साथ-साथ राजनेताओं ने भी खुशी ज़ाहिर की.

बच्चे का जन्म बठिंडा के एक निजी अस्पताल में हुआ.

बच्चे के जन्म की चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि सिद्धू मूसेवाला की मां 58 साल की हैं. अमूमन इस उम्र में बच्चे को जन्म देना मुश्किल होता है.

चरण कौर ने आईवीएफ़ यानी इन विट्रो फ़र्टिलाइज़ेशन तकनीक के ज़रिए इस बच्चे को जन्म दिया है.

आईवीएफ़ के लिए किन बातों का रखें ख़्याल

सिद्धू मूसेवाला की मां बच्चे के साथ

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चरण कौर ने डॉक्टर रजनी जिंदल की देख रेख में बच्चे को जन्म दिया.

डॉक्टर रजनी जिंदल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस ख़बर से और आईवीएफ़ तकनीक के बारे में लोग ग़लत धारणा ना पालें.

उन्होंने कहा कि ज़्यादा उम्र में आईवीएफ़ तकनीक के इस्तेमाल के लिए ज़रूरी है कि मां की सेहत बिलकुल ठीक हो.

उन्होंने कहा कि चरण कौर उनके पास रोजाना मेडिकल चेकअप के लिए आती थीं. कभी-कभी यह थोड़ा मुश्किल होता था. बुढ़ापे में कभी-कभी ब्लड प्रेशर बढ़ जाता था और रक्तस्राव होता था...तब हम उनकी देखभाल करते थे.''

उन्होंने आगे कहा कि चरण कौर बिलकुल स्वस्थ थीं. उनकी सेहत से जुड़ी कोई समस्या नहीं थी, इसी वजह से हम आईवीएफ़ तकनीक का सफतलापूर्वक इस्तेमाल कर पाए.

उन्होंने कहा, ''हम चाहते हैं कि इस खबर को देखने के बाद कोई गलत संदेश न जाए. जब भी अधिक उम्र में गर्भधारण होता है तो सबसे पहले मां के स्वास्थ्य की जांच करनी होती है. सबसे पहले यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम इसका ध्यान रखें. कोई भी प्रक्रिया अपनाने से पहले ज़रूरी है- ये ध्यान रखना कि मां सुरक्षित हो. ये हर किसी का कर्तव्य है."

उन्होंने कहा, "अगर मां स्वस्थ नहीं है तो आईवीएफ़ तकनीक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. अगर मां स्वस्थ है, कामकाजी है, सांस लेने में तकलीफ़ नहीं है, हृदय स्वस्थ है, डायबिटीज़ या ब्लड प्रेशर नहीं है तो ऐसे लोग आईवीएफ़ का सहारा ले सकते हैं."

वो आगे कहती हैं, "अगर मां ठीक है, तो भी निगरानी में रखना ज्यादा सुरक्षित है. ऐसे समय में प्रसव कराना महत्वपूर्ण है जब बच्चा और मां दोनों सुरक्षित हों."

उन्होंने बताया कि जन्म के समय बच्चे का वजन दो किलो था.

आईवीएफ़ तकनीक क्या है

आईवीएफ़

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आईवीएफ़ का इस्तेमाल तब किया जाता है जब या तो प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं होता है या गर्भधारण के अन्य सभी तरीके असफल हो जाते हैं.

आईवीएफ़ तकनीक की सबसे पहले शुरुआत 1978 में हुई थी.

आईवीएफ तकनीक के जरिए अण्डाणु और शुक्राण को प्रयोगशाला में एक परखनली के भीतर मिलाया जाता है. इसके बाद बने भ्रूण को मां के गर्भ में आरोपित कर दिया जाता है.

गुजरात के आणंद में आकांक्षा अस्पताल और अनुसंधान संस्थान की चिकित्सा निदेशक नयना पटेल ने कहा, "आईवीएफ़ का उपयोग उन महिलाओं के मामलों में किया जाता है जिनकी ट्यूब संक्रमण या किसी अन्य कारण से क्षतिग्रस्त हो जाती है."

उन्होंने बताया था कि इस दौरान लैब में अंडे और स्पर्म रखे जाते हैं जिनसे भ्रूण तैयार किया जाता है.

उन्होंने बताया कि जब भ्रूण तैयार हो जाता है तो उसे महिला के गर्भाशय में रख दिया जाता है.

उनका कहना है कि इस तकनीक ने कई जोड़ों को माता-पिता बनने की खुशी दी है.

अधिक उम्र में आईवीएफ़ कितना खतरनाक है?

स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर शिवानी का कहना है कि ज़्यादा उम्र में आईवीएफ़ कराना जोखिम भरा हो सकता है क्योंकि जैसे उम्र के साथ शरीर में कई बदलाव होते हैं, वैसे ही गर्भावस्था के साथ भी शरीर में कई बदलाव होते हैं.

ज़्यादा उम्र में आईवीएफ से गर्भधारण करने पर कई तरह के हार्मोन बाहर से देने पड़ते हैं, जिससे उच्च रक्तचाप, मधुमेह और कॉलेस्ट्रॉल जैसे खतरे भी बढ़ सकते हैं.

मेनोपॉज़

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मेनोपॉज़ के बाद कोई महिला गर्भवती हो सकती है?

डॉक्टर शिवानी का कहना है कि रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज़) के बाद आईवीएफ से गर्भवती होना बहुत मुश्किल होता है.

क्योंकि रजोनिवृत्ति का मतलब है कि महिला के गर्भाशय में अंडे लगभग ख़त्म हो चुके हैं. ऐसे में डोनर एग यानी किसी और का एग लिया जाता है.

फिर रजोनिवृत्त महिला के गर्भाशय को हार्मोन के साथ तैयार करके ऑव्यूलेशन की प्रक्रिया शुरू की जाती है. इस तरह से उस महिला को गर्भवती किया जा सकता है.

गर्भाशय संकुचन के बाद इसका इलाज कैसे किया जाता है?

स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर शिवानी का कहना है कि जैसे-जैसे महिला की उम्र बढ़ती है, गर्भाशय सिकुड़ जाता है क्योंकि उम्र के साथ शरीर में हॉर्मोन कम होते जाते हैं. इसलिए बाहरी हॉर्मोन देने पड़ते हैं, जिसके कारण कभी-कभी इनकी अधिक मात्रा भी देनी पड़ती है. इससे गर्भाशय फिर से सक्रिय होने लगता है.

आयु सीमा कानून द्वारा निर्धारित है

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साल 2021 में भारत में एक नया कानून, सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (एआरटी) अधिनियम लागू हुआ. डॉक्टर सुनीता अरोड़ा दिल्ली के ब्लूम आईवीएफ़ सेंटर में आईवीएफ़ विशेषज्ञ हैं. उन्होंने इस विषय पर बीबीसी से बात की.

डॉक्टर सुनीता अरोड़ा ने बताया कि इस कानून के तहत मां की अधिकतम उम्र 50 साल और पिता की उम्र 55 साल है.

डॉक्टर अरोड़ा कहती हैं, ''अधिकतम उम्र तय करने का एक कारण बच्चे का पालन-पोषण करना है. मान लीजिए जब बच्चा 15-20 साल का हो जाएगा और माता-पिता 70 साल से अधिक के हो जाएंगे, तो वे उसकी देखभाल कैसे करेंगे? लेकिन सबसे बड़ा कारण ये भी है कि 50 साल के बाद मां बनना स्वास्थ्य के लिहाज से ठीक नहीं है.''

वो कहती हैं, ''हम 45 साल से ऊपर के आईवीएफ़ मामलों में मेडिकल हेल्थ पर बहुत ध्यान देते हैं. क्योंकि गर्भावस्था के दौरान हृदय पर दबाव बढ़ जाता है और रक्तचाप भी ऊपर-नीचे होता रहता है. कभी-कभी महिलाएं ऐसे बदलावों को सहन करने की स्थिति में नहीं होती हैं."

डॉक्टर पटेल ज़्यादा उम्र में आईवीएफ़ का सहारा लेने के भी खिलाफ़ हैं, लेकिन उनका कहना है कि कुछ मामलों में एक या दो साल की छूट पर विचार करने का प्रावधान होना चाहिए.

उदाहरण देते हुए वह कहती हैं, ''अगर पत्नी की उम्र 40-45 साल के बीच है और पति की उम्र 56 साल है या पत्नी की उम्र 51 साल और पति की उम्र 53 साल है तो आईवीएफ के लिए फिटनेस के आधार पर अनुमति देने पर विचार किया जा सकता है. ”

क्या सफलता की गारंटी है?

इस पर डॉक्टर नयना पटेल ने बीबीसी को बताया था कि 35 साल से कम उम्र की महिलाओं के मामले में 80 फीसदी सफलता मिलती है.

अगर महिलाओं की उम्र 35 से 40 साल के बीच है तो बच्चा होने की संभावना 60 प्रतिशत तक होती है. अगर उम्र 40 साल से ऊपर है तो 18 से 20 फीसदी मामले ही सफल हो पाते हैं.

कौन थे सिद्धू मूसेवाला

सिद्धू मूसेवाला

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28 वर्षीय सिद्धू मूसेवाला एक गायक के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध थे.

29 मई, 2022 को दिनदहाड़े अत्याधुनिक हथियारों से गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई.

यह घटना पंजाब में मनसा ज़िले के जवाहरके गांव में हुई.

15 मई, 2020 को सिद्धू मूसेवाला ने अपनी मां को समर्पित अपना गाना भी जारी किया था. इस गाने का नाम 'डियर ममा' था.

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