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भारत में अफ़ग़ानिस्तान की क्रिकेट टीम को इतना प्यार क्यों मिलता है?
- Author, मिर्ज़ा एबी बेग
- पदनाम, बीबीसी उर्दू, दिल्ली
भारत में चल रहे विश्व कप टूर्नामेंट में बड़े उलटफेर करते हुए इन दिनों अफ़ग़ानिस्तान क्रिकेट टीम जीत का आनंद ले रही है. भारतीय टीम के बाद जो टीम प्रशंसकों का सबसे ज़्यादा प्यार पा रही है, वो अफ़ग़ानिस्तान ही है.
अफ़ग़ानिस्तान की टीम ने पहले डिफ़ेंडिंग चैंपियन इंग्लैंड को हराकर बड़ा उलटफेर किया और फिर पाकिस्तान को हराकर इतिहास रचा. लेकिन सोमवार को जब अफ़ग़ानी टीम ने श्रीलंका को आसानी से सात विकेट से हराया तो विश्वलेषकों ने इसे अफ़ग़ानिस्तान की जीत बताया. अब इसे 'उलटफेर' नहीं कहा जा सकता. बल्कि कहा जा सकता है कि ये टीम क्रिकेट के क्षितिज पर एक स्थायी शक्ति बनकर उभरी है.
अगर भारत में क्रिकेट प्रशंसक अपनी घरेलू टीम के बाद किसी टीम का समर्थन कर रहे हैं तो वह अफ़ग़ानिस्तान है. ये प्यार सिर्फ़ प्रशंसकों तक ही सीमित नहीं है बल्कि इरफ़ान पठान और हरभजन सिंह जैसे नामी खिलाड़ी और कमेंटेटर भी अफ़ग़ानिस्तान टीम की जीत की खुशी में नाचते दिखे.
सोशल मीडिया पर अफ़ग़ानी और अफ़ग़ान टीम के सदस्य भारतीयों की सराहना कर रहे हैं और उनके समर्थन के लिए शुक्रिया कह रहे हैं.
ऐसे में सवाल उठता है कि अफ़ग़ानिस्तान की क्रिकेट टीम को भारत में इतना पसंद क्यों किया जा रहा है? यहां तक कि भारत को इस टीम का दूसरा घर भी कहा जाने लगा है.
'पाकिस्तान ने अफ़ग़ान खिलाड़ियों को सिखाया बल्ला पकड़ना'
हमने ये सवाल कनाडा के स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट मोइनुद्दीन हमीद से पूछा. हमीद ने पाकिस्तानी क्रिकेटर और पूर्व कप्तान सलीम मलिक पर किताब लिखी है और क्रिकेट पर गहरी नज़र रखते हैं.
मोइनुद्दीन हमीद ने बीबीसी उर्दू से फ़ोन पर बातचीत के दौरान कहा कि इसके पीछे ऐतिहासिक और राजनीतिक कारण हैं. हालांकि, अफ़ग़ानिस्तान और भारत ऐसे पड़ोसी देश हैं जिनकी सीमाएं आपस में लगती हों, फिर भी दोनों के बीच ऐतिहासिक संबंध हैं. पाकिस्तान की तुलना में अफ़ग़ानिस्तान में भारत को अधिक पसंद किया जाता है और अब भारत में भी यही स्थिति है.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने हर मौके पर अफ़ग़ानिस्तान की मदद की है उसके लाखों शरणार्थियों को शरण दी है. अफ़ग़ानिस्तान की क्रिकेट टीम को तैयार करने में भी पाकिस्तान ने अहम भूमिका निभाई है, लेकिन पाकिस्तान के लोगों को ये मालूम नहीं है. जब भारत-पाकिस्तान की बात आती है तो अफ़ग़ानिस्तान के लोग परंपरागत रूप से भारत का समर्थन करते नज़र आते हैं.
उन्होंने कहा, "अगर खेल की बात करें तो पाकिस्तानी खिलाड़ियों ने बल्ला पकड़ना सिखाया है. उनके (अफ़ग़ान टीम) प्रशिक्षण में कबीर ख़ान, राशिद लतीफ़, इंज़माम उल-हक, उमर गुल जैसे कई पाकिस्तानी क्रिकेटरों ने सक्रिय रूप से हिस्सा लिया. वे वहां जाते थे और उन्हें कोचिंग देते थे."
राशिद लतीफ़ और इंज़माम पश्तो नहीं बोलते, लेकिन ख़ैबर पखतूनख्वा से आए बाकी खिलाड़ी उन्हें अपनी भाषा में ट्रेनिंग दे रहे थे. वहीं राशिद ख़ान जैसे कुछ अफ़ग़ान खिलाड़ी अफ़ग़ानिस्तान में पैदा हुए, लेकिन जब वे पाकिस्तान शरण लेने आए, तो उन्होंने यहां क्रिकेट सीखा और अपनी स्कूल-कॉलेज की पढ़ाई भी पाकिस्तान में ही की.
मोइनुद्दीन कहते हैं कि राशिद ख़ान का पाकिस्तान की बजाय भारत की ओर झुकाव समझ से परे है.
'दूसरा घर'
अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी सेना की तैनाती के बाद भारत ने वहां के विकास कार्यों में अरबों डॉलर का निवेश किया. साल 2021 के मध्य में अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की वापसी हुई. इसके बाद से भारत ने ही अफ़ग़ानिस्तानी क्रिकेट टीम को आश्रय दिया है. कई जानकार भारत को अफ़ग़ान क्रिकेट टीम के 'दूसरे घर' के रूप में देखते हैं.
क्रिकेट पर गहरी पकड़ रखने वाले खेल पत्रकार आदेश कुमार ने बीबीसी से फ़ोन पर बात करते हुए कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि पाकिस्तान के खिलाड़ियों ने अफ़ग़ानिस्तान की टीम बनाई. लेकिन जब उनका समर्थन ख़त्म हो गया तो भारत ने अफ़ग़ानिस्तान के खिलाड़ियों को प्रशिक्षित किया. बीसीसीआई ने उन्हें दिल्ली के पास नोएडा और देहरादून में ट्रेनिंग दी.
उन्होंने कहा कि इस मामले में दोनों देशों के पुराने रिश्ते भी अहम हैं. अब जब पाकिस्तान के खिलाफ़ भारत के मैच केवल आईसीसी टूर्नामेंटों तक ही सीमित रह गए हैं, तो अफ़गानिस्तान की टीम को भारत में महत्व मिल गया है.
"राजनीतिक वजहों से इंडियन प्रीमियर लीग यानी आईपीएल में कोई पाकिस्तानी खिलाड़ी नहीं है, जबकि अफ़ग़ान खिलाड़ी यहां देखे जाते हैं. इस वजह से नए क्रिकेट प्रशंसकों के बीच उनके साथ एक तरह का कनेक्ट है."
लेकिन मौजूदा वर्ल्ड कप में अफ़ग़ानिस्तान क्रिकेट टीम ने जो प्रदर्शन दिखाया है, उससे लगता है कि अब आईपीएल में और भी अफ़ग़ान खिलाड़ी नज़र आएंगे.
बीसीसीआई के सहयोग से अफ़ग़ानिस्तान टीम को भारतीय कंपनी अमूल स्पॉन्सर करती है. वर्तमान में, उनकी टीम के मेंटॉर भारतीय क्रिकेटर अजय जडेजा कर रहे हैं और उन्हें अफ़ग़ान टीम के साथ देखना भी भारतीयों के लिए काफ़ी अहम है.
सोशल मीडिया पर भी हो रही चर्चा
अफ़ग़ानिस्तान टीम का भारत के प्रति झुकाव और यहां मिल रहे प्यार को लेकर सोशल मीडिया पर भी काफ़ी चर्चा हो रही है.
आरफ़ा फिरोज़ ज़की नाम के एक एक्स यूज़र ने लिखा है, "अफ़गानिस्तान के खिलाड़ियों ने पाकिस्तान में क्रिकेट सीखा लेकिन हैरानी की बात यह है कि उन्होंने हमेशा भारत को अपना दूसरा घर बताया. अफ़गानियों ने हमेशा पाकिस्तान के खिलाफ़ भारत का समर्थन किया है."
द कैपुलाई नाम के एक अन्य यूज़र लिखते हैं, "मैं जानता हूं कि बीसीसीआई कई चीज़ों के लिए दोषी हैं, लेकिन अफ़गान क्रिकेट टीम के प्रति अपने अटूट समर्थन के लिए वह श्रेय के हकदार हैं. उन्हें अंतरराष्ट्रीय मैचों की मेज़बानी के लिए एक स्टेडियम देकर, जब उनके पास कोई ट्रेनिंग की सुविधा नहीं थी, तब उन्हें सुविधाएं देना और कोचिंग देना.
"बीसीसीआई ने अफ़ग़ान क्रिकेट के विकास में योगदान दिया. आज क्रिकेट की दुनिया में उनका तेज़ी से आगे बढ़ना हम सभी के लिए खुशी की बात है. लेकिन अगर बीसीसीआई नहीं होती तो उनका सफर थोड़ा और मुश्किल होता."
कई यूज़र्स ने उनकी बात से सहमति जताई है.
अनुपमा सिंह नाम की एक यूज़र ने लिखा, "यह बिल्कुल सच है और अफ़गानिस्तान टीम को भारत में जो समर्थन मिला है वह एक अलग स्तर पर है और सभी खिलाड़ी इसके लिए आभारी हैं. हम उन्हें कई गुना बढ़ते हुए देखना चाहते हैं."
वहीं पत्रकार नज़राना यूसुफ़ज़ई ने लिखा कि "अफ़गानिस्तान की टीम तालिबान सरकार के शून्य समर्थन के साथ खेल रही है और अब तक बहुत कुछ हासिल कर चुकी है. यह विश्व स्तरीय खेलों का प्रदर्शन है. उन्हें देखना कितना अच्छा था. मैं अफ़ग़ानियों को मुस्कुराते हुए देखकर बहुत खुश हूं."
हालांकि, इरफ़ान पठान के जश्न और डांस की जहां अफ़गानिस्तान के खिलाड़ी और प्रशंसक तारीफ़ कर रहे हैं, वहीं पाकिस्तान के प्रशंसक उनसे खुश नहीं हैं.
फ़ज़ल अफ़गान नाम के यूज़र ने लिखा कि "पड़ोसी हमारी हार पर नाचना चाहते थे लेकिन हमारे भाई हमारी जीत पर नाच रहे हैं. उनके सपने सिर्फ़ सपने ही रह गये. इरफान भाई और सभी भारतीय साथियों को धन्यवाद."
अफ़गानिस्तान के सोशल मीडिया यूज़र्स के ट्वीट्स को देखकर साफ़ पता चलता है कि वे पाकिस्तान को अपना प्रतिद्वंद्वी मानते हैं और उनकी सारी प्रतिस्पर्धा पड़ोसी देश पाकिस्तान से है.
पत्रकार मोइनुद्दीन हमीद ने कहा कि अफ़गानिस्तान के फ़ैन्स का भारत को समर्थन करना उनकी समझ से परे है.
उन्होंने कहा, "अफ़गानिस्तान की सीमा पाकिस्तान से लगती है और पाकिस्तान उन्हें रास्ता भी मुहैया कराता है, इसलिए उनका व्यापार चलता है क्योंकि उनके पास बंदरगाह भी नहीं है.''
जेएनयू में फ़ारसी के प्रोफेसर और अफ़ग़ान मामलों के विशेषज्ञ, मुहम्मद मज़हरुल हक़ ने कुछ समय पहले बीबीसी से कहा था, "अफ़गानिस्तान के साथ भारत का व्यापार पहले से कहीं अधिक है."
उन्होंने कहा कि तालिबान की सत्ता आने के बाद भारत-अफ़ग़ानिस्तान में कूटनीतिक संबंध नहीं दिख रहे हैं, लेकिन तकनीकी सहयोग के तौर पर वहां भारत की मौजूदगी काफी मज़बूत है.
भारत ने अफ़ग़ानिस्तान में कई परियोजनाएँ शुरू की हैं और लगभग तीन अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है.
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