रोहित शर्मा क्या विराट कोहली को वर्ल्ड कप का तोहफ़ा दे पाएँगे?

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विधांशु कुमार
खेल पत्रकार, बीबीसी हिंदी के लिए
2011 वर्ल्ड कप के सबसे यादगार लम्हों में एक था, ट्रॉफी जीतने के बाद भारत के महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को कंधों पर बिठा कर मैदान का चक्कर लगाना.
दो दशकों से भारतीय क्रिकेट के महानायक सचिन तेंदुलकर के पास सभी ट्रॉफ़ी थी सिवाय वर्ल्ड कप के.
इसलिए जब उनकी आख़िरी विश्व कप टूर्नामेंट पर उन्हें वर्ल्ड कप का तोहफ़ा मिला तो उनकी आंखे भी नम हो गई थीं.
हाथों में भारतीय तिरंगा और कंधों पर सचिन को लेकर जिस युवा खिलाड़ी ने सबसे ज्यादा मैदान का हिस्सा पूरा किया वो कोई और नहीं विराट कोहली थे.
जब कमेंटेटर नासिर हुसैन ने उनसे इस बारे में पूछा तो विराट ने जवाब दिया कि दशकों से सचिन अपने कंधों पर करोड़ों भारतीय फ़ैंस के उम्मीदों का बोझ लिए चल रहे थे, आज उन्हे कंधों पर बिठाकर उन्हें भारतीय क्रिकेट में उनके योदगान के लिए सलामी दी गई.
एक महान खिलाड़ी को दूसरे महान खिलाड़ी से इससे बेहतर सम्मान शायद ही मिल सकता था.
अब घड़ी की सूई पूरा घूम चुकी है. विराट कोहली ख़ुद करियर के उस मकाम पर खड़े हैं, जहां ये कहा जा सकता है कि इस साल भारत में ही खेले जाने वाला वनडे का वर्ल्ड कप उनका आख़िरी वर्ल्ड कप होगा.
सवाल ये है कि जिस तरह सचिन तेंदुलकर ने अपने छठे और आख़िरी वर्ल्ड कप में ट्रॉफ़ी को जीता था, क्या मौजूदा भारतीय टीम कोहली को ये तोहफ़ा देने में सक्षम है?

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सहवाग को है भरोसा
पूर्व भारतीय ओपनर वीरेंद्र सहवाग ने भी हाल ही में एक इवेंट में कहा कि वो चाहते हैं कि जिस तरह 2011 की टीम ने सचिन के लिए वर्ल्ड कप खेला था, वैसी ही भावना मौजूदा टीम भी दिखाएगी.
उन्होंने कहा, “हमने 2011 का वह विश्व कप तेंदुलकर के लिए खेला था. अगर हम विश्व कप जीतते तो यह सचिन पाजी के लिए शानदार विदाई होती. विराट कोहली अब उसी मोड़ पर हैं, भारतीय टीम का हर खिलाड़ी उनके लिए विश्व कप जीतना चाहेगा.''
सहगाव बोले, ''कोहली ख़ुद हमेशा सौ फीसदी से अधिक देते हैं. मुझे लगता है कि विराट कोहली की नज़र भी इस वर्ल्ड कप पर है. लगभग 100,000 लोग आपको अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेलते हुऐ देखने आएंगे, विराट को पता है कि पिचें कैसा व्यवहार करेंगी. मुझे यक़ीन है वो ख़ूब रन बनाएंगे और भारत को कप जिताने की पूरी कोशिश करेंगे.”
लेकिन आगामी वर्ल्ड कप का प्रबल दावेदार बनने के लिए भारतीय टीम को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा.

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तलाश बाएं हाथ के बल्लेबाज़ की
विश्व कप में भारतीय टीम की दावेदारी पर पूर्व कोच रवि शास्त्री ने रोहित शर्मा की टीम में एक बड़ी कमज़ोरी की निशानदेही की.
शास्त्री के मुताबिक़ भारतीय टॉप ऑर्डर में किसी बाएं हाथ के बल्लेबाज़ के ना होने से टीम के बैलेंस में दिक्क़त आती है.
उन्होंने 2011 के विश्व विजेता टीम का उदाहरण देते हुए बताया कि उस टीम में गौतम गंभीर, युवराज सिंह और सुरेश रैना जैसे मंझे हुए बाएं हाथ के बल्लेबाज़ थे
इसकी वजह से टीम की बैटिंग लाइन अप में दाएं-बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों का अच्छा मिश्रण था.
लेफ्ट-राइट कॉम्बिनेशन की वजह से गेंदबाज़ों को लगातार अपनी लाइन और लेंथ बदलने की ज़रूरत पड़ती है. साथ ही हर एक रन के साथ फील्डिंग की तैनातियों को भी बदलना पड़ता है.
अगर ऑस्ट्रेलिया की विजेता टीमों पर भी नज़र डालें तो पाएंगे कि बैटिंग ऑर्डर के पहले छह में दो या तीन लेफ्ट हैंडर्स ज़रूर होते थे.
शास्त्री के मुताबिक़ इस फॉर्मूले को आज़माते हुए टीम इंडिया को ओपनिंग जोड़ी में भी बदलाव करना चाहिए.
रोहित शर्मा और शुभमन गिल के ओपनिंग की बजाय इनमें से किसी एक की जगह बाएं हाथ के बल्लेबाज़ को मिलनी चाहिए.

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इन खिलाड़ियों को मिले मौक़ा
लेकिन समस्या यह है कि भारतीय क्रिकेट में बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों का अकाल सा पड़ा हुआ है.
अगर चयनकर्ता थोड़ा लीक से हटकर सोचते तो शायद टॉप 3 में या ओपनिंग में ही क्यों नहीं, ऋषभ पंत को आजमाया जा सकता है.
लेकिन कार एक्सिडेंट के बाद वो अभी तक दोबारा नहीं खेल सके हैं और अक्तूबर से पहले उनके ठीक होने की संभावना भी बहुत कम है.
दो लेफ्ट हैंड ऑलराउंडर्स – रविंद्र जडेजा और अक्षर पटेल को टॉप ऑर्डर में बैटिंग का अनुभव नहीं है.
सिलेक्टर्स के सामने आईपीएल में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों पर नज़र डालनी पड़ेगी और उनके पास यशस्वी जायसवाल, ईशान किशन और तिलक वर्मा जैसे ऑप्शंस नज़र आएंगे.
ये तीनों बेहद टैलेंटेड खिलाड़ी हैं और टीम में युवा जान फूंकने के लिए इन्हें वर्ल्ड कप के लिए तैयार किया जाना चाहिए.
आने वाले सिरीज़ों में इन खिलाड़ियों को ज़्यादा से ज़्यादा मौक़े देने चाहिए ताकि शास्त्री के टॉप छह में कम से कम 2 बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों का सपना पूरा किया जा सके.

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रोहित शर्मा का फॉर्म में आना बेहद ज़रूरी
बैटिंग समस्याओं पर लगाम लगाने के लिए ज़रूरी है कि टीम के कप्तान पुराने लय और फॉर्म में नज़र आएं.
इंग्लैंड में खेले गए पिछले वर्ल्ड कप में उन्होंने तीन शानदार शतक लगाकर भारत का परचम ऊंचा किया था.
50 ओवर की क्रिकेट में टीम को आत्मविश्ववास देने के लिए रोहित को बड़ी पारियां खेलनी पड़ेगी, जिसके लिए वो जाने जाते रहे हैं.
पिछली वर्ल्ड कप के बाद के क्रिकेट में उनकी बैटिंग में वो गहराई देखने को कम ही मिली है और इन दिनों चाहे वनडे हो या टी20, उनका औसत बढ़ने की बजाय गिरा ही है.
रोहित शर्मा ने इसी साल न्यूज़ीलैंड में अपना आख़िरी वनडे शतक जड़ा था. वनडे में 30 शतक लगाकर वो लिस्ट में तीसरे नंबर पर हैं और वनडे में तीन दोहरा शतक लगाने वाले वो अकेले खिलाड़ी हैं.
कोहली की ही तरह रोहित का भी ये आख़िरी वनडे वर्ल्ड कप हो सकता है.
भारतीय क्रिकेट में कोहली और रोहित की जोड़ी शोले फिल्म के जय-वीरू जोड़ी के समान है जो टीम वर्क में नंबर वन हैं और किसी भी शक्तिशाली विपक्ष को हराने में सक्षम हैं.
इसमें कोई शक नहीं कि कोहली को वर्ल्ड कप की जीत का तोहफ़ा देने में रोहित शर्मा का मुख्य किरदार होगा.

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स्पिनर्स से दोहरी भूमिका की उम्मीद
भारतीय कंडीशंस में स्पिनर्स की भूमिका अहम होगी. भारतीय टीम अनुभवी रवि अश्विन, रविंद्र जडेजा, अक्षर पटेल, कुलदीप यादव और युज़वेंद्र चहल किन्हीं तीन को चुनना चाहेगी.
हालांकि मॉडर्न क्रिकेट में स्पिनरों से सिर्फ़ विकेट लेने की उम्मीद नहीं की जाती बल्कि ज़रूरत पड़ने पर उनसे रन बनाने की अपेक्षा भी की जाती है.
इस लिहाज से अश्विन, जडेजा और पटेल तो फिट बैठते हैं लेकिन धोनी के प्यारे ‘`कुल-चा’ की जोड़ी कमज़ोर पड़ जाती है.
मौजूदा फॉर्म को देखते हुए शायद अश्विन, जडेजा, चहल और पटेल में तीन की जगह टीम में बन सकती है.

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तेज़ गेंदबाज़ी का सिरदर्द
आने वाले वर्ल्ड कप में भारतीय मैनेमेंट के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द रहेगा फास्ट-बॉलिंग लाइन अप तैयार करना.
जसप्रीत बुमराह का खेलना संदिग्ध है, ऐसे में तेज़ गेंदबाज़ी कमज़ोर दिखने लगती है.
मोहम्मद सिराज ने अपनी गेंदबाज़ी में काफ़ी सुधार किया है लेकिन शमी उम्र के उस पड़ाव पर हैं, जहां दस ओवर की गेंदबाज़ी में उनसे ग़लतियां हो सकती है.
तीसरा सीमर कौन होगा इस पर बड़ी बहस होगी. युवा अर्शदीप सिंह क्या वनडे के लिए तैयार हो चुके हैं या आईपीएल में अब बल्लेबाज़ों ने उनकी बॉलिंग का राज़ जान लिया है?
उमेश यादव और जयदेव उनादकट करियर की ढलान पर हैं, वहीं नवदीप सैनी ने जो प्रॉमिस दिखाया था उसपर वो खरा नहीं उतरे हैं.
भारतीय कंडीशंस मे दोपहर बाद रिवर्स स्विंग की भी अच्छी गुंजाइश रहती है.
क्या भारतीय सीमर्स इसका फ़ायदा उठा पाएंगे?

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वर्क इन प्रोग्रेस?
कुल मिलाकर कोहली को ट्रॉफी दिलाने वाली टीम को अभी वर्क इन प्रोग्रेस ही कहा सकता है. इस टीम के कई सीनियर खिलाड़ियों का ये आख़िरी वर्ल्ड कप होगा और उन सबमें जीत के साथ बाहर जाने की टीस ज़रूर होगी.
साल 2017 में चैंपियंस ट्रॉफी जीतने के बाद भारत के पास आईसीसी ट्रॉफी का जो सूखा पड़ा है उसे दूर करने का अच्छा मौका है.
लेकिन भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और पाकिस्तान जैसी टीमों से कड़ी चुनौती मिलेगी.
भारतीय टीम के लिए जीत तभी संभव हो पाएगा जब एक या दो खिलाड़ियों के बजाय पूरी टीम एक होकर खेले.
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