कोहली, रोहित और पुजारा: क्या विकल्प खोजने का समय आ गया है?

भारत की वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में हार के बाद विश्लेषणों का दौरा जारी है.

बीते एक दशक में जिन तीन भारतीय खिलाड़ियों ने टेस्ट क्रिकेट में अपना लोहा मनवाया है उनके प्रदर्शन की चर्चा भी आम है.

इस फ़ाइनल में विराट कोहली, रोहित शर्मा और चेतेश्वर पुजारी की त्रिमूर्ति की बैटिंग उस स्तर पर नहीं पहुँच पाई जिससे टीम को मुकाबले में रखा जा सके.

इस हार के बाद अब क्या समय आ गया है कि इन दिग्गजों की दिक्कतों का हल खोजा जाए?

इन तीनों में से सबसे अधिक हैरान करने वाला प्रदर्शन चेतेश्वर पुजारा का कहा जा सकता है. सबको उम्मीद थी कि वे ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ बढ़िया खेलेंगे.

इसकी वजह है पुजारा का काउंटी क्रिकेट में एक्सपोज़र. वे ससेक्स के लिए बड़े स्कोर करते रहे हैं. उनका इंग्लैंड में क्रिकेट खेलने का महत्वपूर्ण अनुभव था.

लेकिन उनसे निराशा ही हाथ लगी.

अगर 2022 में चटगांव में बांग्लादेश के ख़िलाफ़ 90 और 102 रनों की पारियों को छोड़ दिया जाए तो उनकी आख़िरी बड़ी पारी ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ वर्ष 2021 में थी जिसमें उन्होंने 77 रन बनाए थे.

पुजारा ने 2021-2023 की वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में कुल 17 टेस्ट मैच खेले हैं. इन मैचों में उन्होंने 32 की औसत से 928 रन बनाए.

इस दौरान उन्होंने सिर्फ़ एक शतक जड़ा. भारतीय टीम के नंबर तीन पर खेलने वाले बल्लेबाज़ के लिए ये रिकॉर्ड चिंतित करने वाला है.

पुजारा नहीं तो कौन?

अगर भारतीय टेस्ट टीम को तीसरे नंबर पर खेलने के लिए चेतेश्वर पुजारा का विकल्प तलाशना पड़े तो कौन से नाम सामने आएंगे?

वर्ष 2022 की शुरुआत में घरेलू श्रृंखला के दौरान हनुमा विहारी ने इस पॉजिशन पर तीन पारियों में एक अर्धशतक लगाया था.

लेकिन पिछले साल ही पुजारा के बांग्लादेश में दोबारा टीम में लौटने के बाद हनुमा को बाहर बैठना पड़ा.

हनुमा विहारी के अलावा तीसरे नंबर के लिए फ़िलहाल कोई सॉलिड विकल्प नहीं दिख रहा है.

लेकिन भारत का सिरदर्द सिर्फ़ तीसरे नंबर पर ही नहीं है. ये दिक्कत, इसके नीचे के बैटिंग ऑर्डर में भी है.

नंबर चार पर आते हैं मौजूदा वक़्त के निर्विवाद रूप से महान खिलाड़ी यानी विराट कोहली.

पिछले एक दशक में कोहली जैसे कम ही खिलाड़ी हुए हैं. दुनिया भर के गेंदबाज़ों पर वे हावी रहे हैं लेकिन अब वे अपने बेहतरीन फॉर्म की छाया भर हैं.

कोहली व्हाइट बॉल क्रिकेट में लय में लौटते दिख रहे हैं. लेकिन भारत को कोहली की ज़रूरत टेस्ट क्रिकेट में है.

अगले महीने वेस्ट इंडीज़ से भारत वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप 2023-25 के मुकाबलों की शुरुआत करेगा. इस दौरान भारत को वो पुराना कोहली चाहिए होगा जो टीम को हर मुसीबत से निकालने का माद्दा रखता था.

मौजूदा वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (2021-23) में विराट कोहली ने 17 टेस्ट खेले और 32.13 की औसत से 932 रन बनाए. इनमें सिर्फ़ एक शतक शामिल है.

कोहली ने ये 186 रनों की शतकीय पारी इसी साल के शुरू में अहमदाबाद में खेली थी. लेकिन इस दौरान भारत से बाहर कोहली का औसत गिरकर 25.25 रह गया है.

कोहली का विकल्प?

नंबर चार के लिए श्रेयस एक अच्छा विकल्प हो सकते हैं लेकिन वो फ़िलहाल घायल हैं. भविष्य में वे नंबर चार के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकते हैं लेकिन श्रेयस को अभी ख़ुद को और तराशना होगा.

जानकार कहते हैं कि श्रेयस को शॉर्ट पिच गेंदों से जो गुरेज़ है, उससे भी निपटना होगा. वे अक्सर उन शॉर्ट पिच गेदों से परेशान दिखते हैं जिनका निशाना सीधे उनके शरीर पर होता है.

सरफ़राज़ ख़ान एक और विकल्प हैं.

पिछले घरेलू सीज़न में सरफ़राज़ ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था. उनकी चर्चा भी ख़ूब हुई. लेकिन उच्च श्रेणी की फ़ास्ट गेंदाबाज़ी के सामने उनकी परख होनी बाक़ी है.

कुछ जानकारों का कहना है कि मीडियम पेस से अधिक स्पीड वाली गेंद पर सरफ़राज़ असहज दिखते हैं.

सरफ़राज़ को इंडिया ए की ओर से सात टेस्ट मैच खेलने का अवसर मिला था लेकिन वे इस दौरान एक भी शतक नहीं बना पाए.

रोहित शर्मा की जगह कौन?

रोहित शर्मा ने भारत के लिए सिर्फ़ 50 टेस्ट मैच खेले हैं लेकिन जब भी देश की बेहतरीन टेस्ट बल्लेबाज़ों की बात होती है तो उनका नाम ज़रूर आता है.

रविवार को ख़त्म हुई 2021-23 की वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में रोहित ने 11 टेस्ट खेले. उन्होंने 42.11 की औसत से 758 रन बनाए जिनमें दो शतक भी शामिल थे.

उनका भारत से बाहर का रिकॉर्ड भी इस दौरान अच्छा रहा. भारत में उनका औसत 36.88 रहा और देश के बाहर 52.57 रहा.

लेकिन अब रोहित शर्मा 36 वर्ष के हो गए हैं. प्रश्न ये है कि क्या वे 2025 तक खेल पाएंगे?

शुभमन गिल एक अच्छे ओपनर के रूप में उभर रहे हैं लेकिन उन्हें भी तो एक साथी की ज़रूरत होगी.

मयंक अग्रवाल एक अच्छा विकल्प हैं लेकिन 2022 में श्रीलंका के ख़िलाफ़ बैंगलोर टेस्ट के बाद उन्होंने टेस्ट क्रिकेट नहीं खेला है.

इसके अलावा अभिमन्यू ईश्वरन भी हैं. वे तकनीकी तौर पर एक मज़बूत ओपनर हैं. उन्हें यशस्वी जायसवाल से मुकाबले करना पड़ सकता है.

ऐसी किसी भी प्रतिस्पर्धा का लाभ भारतीय टेस्ट टीम को ही होगा.

अगले साल इंग्लैंड की टीम भारत आएगी और उसके बाद 2025 में एक बार फिर भारत में ही खेलेगी.

इन सब दौरों में अच्छा प्रदर्शन करना होगा ताकि टेस्ट चैंपियनशिप के अगले दौर को जीतने की कोशिश की जा सके.

भारतीय क्रिकेट के इन तीन स्तंभो की हिलाना और उनकी जगह किसी और को तैयार करना आसान काम नहीं हैं लेकिन वक़्त बीतने के साथ ऐसा करना ज़रूरी हो जाएगा.

सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि भारतीय टीम का प्रबंधन इस विषय पर क्या सोचता है.

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