मणिपुर में तनाव, पुलिस का दावा हिंसा में ड्रोन और आरपीजी का इस्तेमाल

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मणिपुर के इम्फाल ज़िले में हुई ताज़ा हिंसा में रविवार को एक महिला समेत दो लोगों की मौत हो गई, जबकि 9 अन्य लोग घायल हुए हैं. राज्य में चार महीने से ऐसी हिंसा बंद थी.
मणिपुर पुलिस का दावा है कि हमलावरों ने ड्रोन की मदद से लोगों पर हमला किया है.
पुलिस के मुताबिक़, गांव पर अचानक हुए हमले से लोग काफ़ी डरे हुए हैं और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है.
मणिपुर पुलिस ने सोशल मीडिया एक्स के ज़रिए इस हमले की जानकारी दी है. पुलिस ने हमले के पीछे कथित 'कुकी चरमपंथियों' पर संदेह जताया है.

ड्रोन के ज़रिए हमला
पुलिस ने दावा किया है कि राज्य में ताज़ा हिंसा में अत्याधुनिक ड्रोन और आरपीजी (रॉकेट प्रोपैल्ड गन यानी कंधे पर रखकर रॉकेट दागने वाली गन) का इस्तेमाल किया गया है. ऐसे हथियारों का प्रयोग आमतौर पर युद्ध के दौरान किया जाता है.
पुलिस के मुताबिक़ ड्रोन बम का इस्तेमाल आमतौर पर जंग के दौरान किया जाता है. सुरक्षाबलों और आम नागरिकों के ख़िलाफ़ इसका इस्तेमाल एक बड़ा बदलाव है.
पुलिस का कहना है, "इस मामले में बेहतरीन ट्रेनिंग, तकनीकी विशेषज्ञता और मदद की संभावना को नकारा नहीं जा सकता है."
इस हमले के बाद राज्य के बड़े अधिकारी हालात पर क़रीबी नज़र बनाए हुए हैं और पुलिस किसी भी परिस्थिति से निपटने की तैयारी कर रही है.
पुलिस ने हमले में मृतक महिला की पहचान 31 साल की सुरबाला देवी के तौर पर की है. उनके शव को पोस्टमार्टम के लिए रिम्स (रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस) ले जाया गया.
पुलिस ने कहा कि एक अन्य मृतक की पहचान अभी तक नहीं हो सकी है. ताज़ा हमले में दो पुलिस वाले और एक टीवी पत्रकार भी घायल हुए हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, चरमपंथियों ने पहाड़ी से कौट्रुक और पड़ोसी कदंगबंद के निचले इलाक़ों की तरफ अंधाधुंध गोलीबारी की. इससे कई घरों को भी नुक़सान पहुंचा है.
यह इलाक़ा पश्चिमी इंफाल में आता है. इसके ठीक पड़ोस में कुकी आबादी वाला पहाड़ी ज़िला कांगपोक्पी मौजूद है.
अस्पताल के अधिकारियों ने बताया है कि रविवार को घायल हुए 9 लोगों में से पांच को गोली लगी है. जबकि चार लोग बम विस्फोट के कारण घायल हुए हैं.
मणिपुर में डेढ़ साल से चली आ रही हिंसा में कुकी और मैतेई समुदाय एक दूसरे के आमने-सामने हैं.
राज्य सरकार पर आरोप

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इस हमले के बाद कुकी समुदाय के सबसे बड़े संगठन ‘कुकी इंपी मणिपुर’ ने एक बयान जारी कर 'कुकी ज़ो' समुदाय के ख़िलाफ़ हमले करने का आरोप लगाया है.
कुकी इंपी ने इसे 'कुकी ज़ो' समुदाय के ऊपर सुनियोजित हमलों से जोड़ा है. उसने इस हमले में बेकसूर नागरिकों के मारे जाने में राज्य सरकार की भूमिका की बात की है.
उसने कहा है, “कंग्गुई-लामका रोड पर 'कुकी ज़ो' समुदाय पर घात लगाकर किए गए हमलों की कुकी इंपी भर्त्सना करता है.”
कुकी इंपी ने केंद्र सरकार से इस मुद्दे पर फ़ौरन राज्य सरकार की भूमिका के ख़िलाफ़ क़दम उठाने की मांग की है.
वहीं मणिपुर पुलिस ने सोशल मीडिया 'एक्स' पर बताया है कि उसने संवेदनशील इलाक़ों में पहाड़ी और घाटी के ज़िलों में तलाशी अभियान में कई हथियार बरामद किए हैं.
अंग्रेज़ी अख़बार 'द हिन्दू' के मुताबिक़ मणिपुर के पुलिस महानिदेशक ने मणिपुर के सभी ज़िलों के पुलिस अधीक्षक को अलर्ट भेजकर ख़ासकर संवेदनशील इलाक़ों में सावधानी बरतने को कहा है,
हिंसा की घटना के बाद इंफाल पश्चिम ज़िले के मैजिस्ट्रेट ने रविवार शाम सात बजे से भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के तहत अगली सूचना तक निशेधाज्ञा लागू कर दी है.
डेढ़ साल से जारी हिंसा

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मणिपुर में क़रीब डेढ़ साल पहले हिंसा का दौर शुरू हुआ था. उस वक़्त मणिपुर हाई कोर्ट ने 27 मार्च 2023 को एक आदेश में राज्य सरकार से मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने की बात पर जल्दी विचार करने को कहा था.
इस आदेश के कुछ दिन बाद ही राज्य में जातीय हिंसा भड़क गई थी और कई लोगों की जान भी गई. इस हिंसा की वजह से हज़ारों लोगों को बेघर भी होना पड़ा और सार्वजनिक संपत्ति का भी नुक़सान हुआ.
राज्य के मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को इस हिंसा की मुख्य वजह माना जाता है. इसका विरोध मणिपुर के पहाड़ी इलाक़ों में रहने वाले कुकी जनजाति के लोग कर रहे हैं.
बाद में फ़रवरी 2024 में मणिपुर हाई कोर्ट ने अपने पिछले आदेश से उस अंश को हटा दिया था, जिसमें मैतेई समुदाय के लिए एसटी का दर्जा देने की सिफ़ारिश का ज़िक्र था.
मणिपुर में पिछले साल शुरू हुई हिंसा में 200 से ज़्यादा लोग मारे जा चुके हैं. राज्य में हालात अब भी सामान्य नहीं हुए हैं.
हिंसा से प्रभावित मैतेई और कुकी समुदाय के लोग अब भी बड़ी संख्या में राहत शिविरों में रह रहे हैं. हिंसा से प्रभावित कुछ लोगों को भागकर पड़ोसी राज्य मिज़ोरम में शरण लेनी पड़ी है.
हालांकि हाल के महीनों में राज्य में हिंसा की कोई बड़ा घटना नहीं हुई थी.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित















