You’re viewing a text-only version of this website that uses less data. View the main version of the website including all images and videos.
रोहित शर्मा की कप्तानी पर उठते सवाल, कौन हो सकता है विकल्प?
- Author, विमल कुमार
- पदनाम, खेल पत्रकार, बीबीसी के लिए
लंदन के ओवल मैदान में जब वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फ़ाइनल खेला जा रहा था तो मैच के पहले ही दिन से इस बात को लेकर कई फैंस ने बहस शुरू कर दी कि क्या रोहित शर्मा टेस्ट कप्तान के लिए सही पसंद है?
रोहित ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाज़ी करने का फ़ैसला किया था और कुछ जानकारों के मुताबिक़ ये किसी बहादुर कप्तान का आक्रामक फ़ैसला ना होकर अनिश्चियी कप्तान का एक सुरक्षात्मक निर्णय था.
और जैसा कि भारतीय क्रिकेट में अक्सर होता है कि जब कोई खिलाड़ी उपलब्ध ना हो या फिर संन्यास ले चुका हो तो उसकी प्लेइंग इलेवन में कमी सबसे ज़्यादा खलती है.
फैंस इस बात को भूल जातें हैं जब वो खिलाड़ी टीम के साथ था, तो वही फैंस उस खिलाड़ी को टीम से हटाने के लिए सोशल मीडिया पर कैंपेन तक चलाते थे.
विराट कोहली के साथ भी फ़िलहाल ऐसा हो रहा है. अब जबकि कोहली कप्तान नहीं है तो अचानक से हर कोई कोई उनके आक्रामक रवैये की कमी रोहित की कप्तानी में ढूंढने की कोशिश कर रहा है. बेशक, ये व्यर्थ और बेकार प्रयास ही है.
तो क्या इसका मतलब ये मान लिया जाए कि टेस्ट कप्तान के तौर पर भारत के पास रोहित के अलावा कोई और ठोस विकल्प नहीं बचा है?
क्या अगले दो साल तक रोहित ही टेस्ट टीम के कप्तान बने रहेंगे?
क्या किसी युवा खिलाड़ी को नई ऊर्जावान टीम को संचालित करने की ज़िम्मेदारी नहीं दी जा सकती है जैसा कि एक दौर में साउथ अफ्रीका के लिए ग्रेम स्मिथ ने की?
स्मिथ ने अपने करियर के 117 मैचों में से 109 में कप्तानी की जो कि 93 फ़ीसदी से भी ज़्यादा रहा और कोई भी इसके पास नहीं है.
लेकिन भारतीय क्रिकेट में कप्तानी के नाम पर इतना बड़ा दांव ना पहले कभी खेला गया ना और शायद आगे भी मुमकिन ना हो.
कुछ लोग शायद नवाब पटौदी का उदाहरण दें जिन्होंने 46 में से 40 मैचों में कप्तानी की थी लेकिन वो पटौदी थे और लीडर के तौर पर उस दौर में उनकी बादशाहत हर कोई मान चुका था.
ख़ैर, अब हमलोग उसी मूल सवाल पर लौटते हैं कि जिसकी चर्चा उस दिन से लगातार जारी है जबसे टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल हारा.
क्या टेस्ट कप्तान के तौर पर भारत के पास रोहित के अलावा कोई दूसरा विकल्प भी है?
चलिये, वो भी देख लेतें हैं. सबसे पहला नाम कोहली का ही है.
कोहली के पास अनुभव भी हैं और कामयाबी का रिकॉर्ड भी लेकिन समस्या ये है कि सिर्फ़ डेढ़ साल पहले ही कोहली ने ख़ुद से ही टेस्ट कप्तानी छोड़ दी थी और पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने हाल ही में एक इटंरव्यू में कहा था कि उनके इस फ़ैसले से बोर्ड अवाक रह गया था क्योंकि वो ऐसे फ़ैसले के लिए तैयार ही नहीं थी.
उन हालात में रोहित ही सबसे बेहतर विकल्प थे और इसलिए उन्हें कप्तानी दी गई. जिस कड़वाहट के साथ कोहली की कप्तानी का कार्यकाल ख़त्म हुआ और जिस तरीक़े से बोर्ड के कई बड़े अधिकारी नाराज़ हुए, उसे देखते हुए यही लगता है कि शायद रितुराज गायकवाड़ के लिए टेस्ट कप्तानी मिलना ज़्यादा आसान हो बजाय कोहली के!
अब आतें हैं, दूसरे सबसे अनुभवी विकल्प और एक बेहद कामयाब पूर्व कप्तान अंजिक्या रहाणे की दावेदारी पर जिनके बारे में बहुत सारे फैंस ने वकालत की हैं. हालांकि एक भी पूर्व खिलाड़ी ने नहीं. और ये बात आसानी से समझी जा सकती है कि आख़िर क्यों?
रहाणे अगर टीम इंडिया में नियमित होते जैसा कि रविचंद्रण अश्विन या फिर रविंद्र जडेजा हैं तो शायद कोई परेशानी की बात नहीं होती. वैसे भी 82 टेस्ट के वेटरन रहाणे को वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में 83वां मैच खेलने का मौक़ा ही नहीं मिलता अगर श्रैय्यस अय्यर फिट होते.
ऐसे में सिर्फ़ एक मैच पहले जो खिलाड़ी प्लेइंग इलेवन में अपनी जगह नहीं बना सकता था. उसके एक मैच के बाद अचानक से ही टीम इंडिया की कप्तानी नहीं दी जा सकती है, भले ही उस कप्तान ने ग़ैर-नियमित कप्तान के तौर ऑस्ट्रेलिया में सबसे मुश्किल टेस्ट सीरीज़ में टीम इंडिया को जीत ही क्यों ना दिलायी हो.
बाक़ी और कौन-कौन हो सकते हैं दावेदार?
जसप्रीत बुमराह जिन्होंने पिछले साल एजबेस्टन में रोहित के आखिरी लम्हें में नहीं खेलने पर कप्तानी की थी, वो खुद चोटिल हैं और उनके टेस्ट करियर को लेकर फ़िलहाल अटकलें ज्यादा लगायी जा रहीं हैं.
ऋषभ पंत जो कि भविष्य के कप्तान के तौर पर सबसे सशक्त विकल्प हो सकते थे तो वो भी कार दुर्धटना में घायल होने के बाद फिर से क्रिकेट में वापस लौटने के लिए पहला क़दम भी नहीं ले पाए हैं.
जिस के एल राहुल पर द्रविड़ और बाकि चयनकर्ताओं ने भरोसा दिखाया था वो टीम में ही अपनी जगह को लेकर संघर्ष कर रहें हैं और साथ ही आईपीएल में भी लखनऊ के कप्तान के तौर पर उन्होंने कोई वाहावाही नहीं लूटी है.
अगर आप युवा विकल्प के तौर पर शुभमन गिल का नाम सुझायेंगे तो ज़्यादतर लोग ये कहेंगे कि पंजाब के इस खिलाड़ी को पहले टेस्ट क्रिकेट में जमने दिया जाए और कम से कम आईपीएल में एक सीज़न तो कप्तानी करते हुआ देखा जाय.
अश्विन शायद एक गंभीर विकल्प हो सकते थे क्योंकि उनके पास वो सब कुछ है जो रोहित के पास है.
टीम मैन, सीनियर खिलाड़ी, लीडर के तौर पर काबिल लेकिन वो रोहित की तरह ना तो बल्लेबाज़ हैं और ना ही आईपीएल में उन्होंने कप्तान के तौर पर कोई ट्रॉफी जीती है.
36 साल की उम्र में उन्हें भी अनिल कुंबले की तरह एक अंतरिम कप्तान की भूमिका नहीं दी जा सकती है क्योंकि ऐसे में तो रोहित ही ज़्यादा बेहतर विकल्प नज़र आतें हैं.
जडेजा का तो दावा भी कहीं से नज़र नहीं आता क्योंकि चेन्नई सुपर किंग्स के साथ कप्तानी को हाथ लगाने पर क्या हाल हुआ वो सबके सामने है.
क्या अगले दो साल तक रोहित ही टेस्ट टीम के कप्तान बने रहेंगे?
ईमानदारी से कहा जाय और ये उचित है कि रोहित को अगर दो साल नहीं तो कम से कम अगले एक साल तक टेस्ट टीम की कप्तानी से नहीं हटाया जा सकता है.
वेस्ट इंडीज़ दौरे के बाद टीम इंडिया की अगली टेस्ट सीरीज़ साल के अंत में साउथ अफ्रीका के ख़िलाफ़ होगी. तब तक वन-डे वर्ल्ड कप ख़त्म हो चुका होगा.
रोहित वर्ल्ड कप जीतें या हारें, वन-डे क्रिकेट में राहुल द्रविड़ और रोहित का दौर ख़त्म हो जाएगा और एक नया कप्तान-कोच टीम इंडिया के लिए अगले चार सालों की ज़िमेमदारी लेगा.
ये मुमकिन है कि रोहित एक बल्लेबाज़ और कप्तान के तौर पर सिर्फ़ एक ही फॉर्मेट यानी की टेस्ट क्रिकेट को चुन सकते हैं और अगर वो ऐसा ख़ुद से नहीं करते हैं तो चयनकर्ता और बोर्ड उन्हें ये शर्त रखें.
आधिकारिक तौर पर फ़िलहाल, बीसीसीआई या चयनकर्ताओं ने रोहित को टी20 टीम की कप्तानी से हटाया नहीं है लेकिन ये महज़ इत्तेफाक नहीं कि ऑस्ट्रेलिया में 2022 टी20 वर्ल्ड कप सेमीफ़ाइनल हारने के बाद से रोहित एक भी टी20 मैच भारत के लिए नहीं खेलें हैं और हर मैच में कप्तानी हार्दिक पंड्या ने की है, जिन्हें अगले साल वेस्ट इंडीज़ में होने वाले वर्ल्ड कप के लिए निश्चित तौर पर कप्तान माना जा रहा है.
लेकिन, रोहित के लिए अगले दो साल तक यानी कि वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल तक कप्तान बने रहना इतना आसान नहीं होगा. क्योंकि उस वक़्त उनकी उम्र 38 साल की होगी और उस वक्त तक ओपनर के तौर पर भी अपना जलवा बरकरार रखना मुंबई के इस खिलाड़ी के लिए कड़ी चुनौती होगी.
ये तभी मुमकिन जह रोहित पूरी तरह से सफ़ेद गेंद की क्रिकेट को बाय-बाय कर दें. जिस तरह से इंग्लैंड के लिए जेम्स एंडरसन और स्टुअर्ट ब्राड जैसे गेंदबाज़ सिर्फ लाल गेंद की क्रिकेट खेलते हुए उम्र को झुठला रहें हैं, रोहित भी शायद ऐसा करने में कामयाब हों.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)