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क़तर भारत के लिए इतना अहम क्यों है?
बीते दिनों क़तर से भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को जेल से रिहा करने के फ़ैसले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार और गुरुवार की दरमियानी रात दोहा पहुँचे.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि पीएम का ये दूसरा क़तर दौरा है. इससे पहले वो जून 2016 में क़तर गए थे.
मोदी से पहले नवंबर 2008 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने क़तर का दौरा किया था.
एयरपोर्ट पर उन्होंने क़तर के प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री शेख़ मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी से मुलाक़ात की, जिसे उन्होंने 'सकारात्मक' बताया.
गुरुवार को उनकी मुलाक़ात क़तर के अमीर शेख़ तमीम बिन हमद अल थानी से होनी है. दोनों के बीच द्विपक्षीय संबंधों और इलाक़े से जुड़े मुद्दों के साथ-साथ वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा होनी.
यूएई से क़तर के लिए रवाना होते हुए मोदी ने कहा था कि वो क़तर के अमीर के साथ मुलाक़ात को लेकर उत्सुक हैं "जिनकी अध्यक्षता में क़तर अभूतपूर्व विकास और बदलाव का दौर देख रहा है."
पहले से नहीं हुई थी दौरे की घोषणा
प्रधानमंत्री के क़तर दौरे की घोषणा पहले से नहीं की गई थी. इसके बारे में क़तर की जेल में बंद आठ भारतीय पूर्व नौसेनिकों में से सात के भारत पहुँचने के बाद मोदी के यात्रा के बारे में जानकारी दी गई.
इन सातों को लगभग तीन महीने पहले क़तर की एक कोर्ट ने मौत की सज़ा सुनाई थी. बाद में इन लोगों की सज़ा को कम कर तीन साल से 25 साल तक की जेल कर दिया गया.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, एक पूर्व नौसेनिक अभी भारत नहीं लौटे हैं, लेकिन वो भी जल्द लौट आएंगे.
लगभग तीन महीने तक कूटनीतिक स्तर पर बातचीत और क़ानूनी प्रक्रिया के बाद लिए गए इस फ़ैसले को भारत की महत्वपूर्ण कूटनीतिक जीत बताया गया.
12 फरवरी को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने मंत्रालय के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा "13 तारीख़ को प्रधानमंत्री दो दिन के यूएई के दौरे पर जा रहे हैं."
इसी दिन विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने पीएम के क़तर दौरे की घोषणा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आने वाले दो दिनों में वो यूएई (13-14 फरवरी) और क़तर (14-15 फरवरी) के दौरे पर रहेंगे.
क़तर में क़रीब 8.35 लाख भारतीय रहते हैं. ये क़तर की कुल आबादी का 27 फ़ीसदी है.
क़तर और भारत के बीच रिश्ते
क़तर और भारत के बीच कूटनीतिक रिश्ते 70 के दशक में शुरू हुए थे.
जनवरी 1973 में क़तर ने भारत में अपने दूतावास के लिए पहले चार्ज द अफ़ेयर्स की नियुक्ति की, मई 1974 में क़तर ने अपना पहला राजदूत भारत में नियुक्त किया.
लेकिन भारत के साथ क़तर के रिश्ते बनने उससे पहले शुरू हो गए थे.
1940 में क़तर ने दुखन तेल भंडार की खोज की. इसके दो दशक के बाद क़तर को एक और तेल भंडार का पता चला. उसकी अर्थव्यवस्था तेज़ी से बढ़ने लगी, जिसमें विदेश से आए कामगारों की अहम भूमिका रही.
1990 तक क़तर में काम करने वाले विदेश से आए लोगों में भारतीय कामगारों की संख्या 50 लाख तक हो गई थी. ये उसकी आबादी का लगभग एक तिहाई थी.
इधर क़तर और भारत के बीच व्यापार भी बढ़ रहा था. जहां क़तर भारत से अनाज, मशीनरी और इलेक्ट्रिक सामान ख़रीद रहा था, भारत उससे तेल, लिक्विफ़ाइड नैचुरल गैस (एलएनजी) ख़रीद रहा था.
मोदी के सत्ता में आने के बाद 2015 और 2016 में उन्होंने मुलाक़ात क़तर के अमीर तमीम बिन हमद अल थानी से मुलाक़ात की.
इसके अलावा सितंबर 2019 में संयुक्त राष्ट्र आम सभा और दिसंबर 2023 में दुबई में हुए जलवायु सम्मेलन में दोनों नेताओं की मुलाक़ात हुई थी.
इन बैठकों का नतीजे कुछ ऐसे सामने आया कि 2016 में क़तर ने भारत को बेचे जाने वाले एलएनजी की प्रति यूनिट क़ीमत आधी कर दी.
इसके बाद 12.60 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू (मीट्रिक मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट) पड़ने वाला एलएनजी भारत के लिए क़रीब 6.5 से 6.6 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू में मिलने लगा.
हालांकि अपने हितों की रक्षा के लिए उसने इसमें एक फिक्स्ड कॉम्पोनेन्ट रखा, यानी भारत के लिए एक निश्चित मात्रा में उससे गैस ख़रीदना बाध्यकारी कर दिया.
2017 में क़तर के रिश्ते अरब मुल्कों से बिगड़ने लगे. सऊदी अरब ने कहा कि क़तर आतंकवाद का समर्थन करता है और उसमे गल्फ़ कोऑपरेशन काउंसिल के साथ हुए समझौते का उल्लंघन किया है.
सऊदी अरब के नेतृत्व में बहरीन, यूएई और मिस्र ने क़तर के साथ अपने रिश्ते तोड़ लिए और उसे अलग-थलग करने की कोशिश की.
भारत के लिए मुश्किल बढ़ने लगी, उसने कुछ वक्त के लिए क़तर को हो रहे निर्यात को रोका लेकिन फिर जल्द ही दोनों के बीच व्यापार पहले की तरह चलने लगा.
भारत का क़तर से द्विपक्षीय व्यापार
2022-23 में भारत और क़तर के बीच 18.77 अरब डॉलर का व्यापार हुआ.
इस दौरान भारत ने 1.96 अरब डॉलर मूल्य का सामान क़तर को निर्यात किया. वहीं भारत का इस दौरान 16.8 अरब डॉलर मूल्य का आयात रहा.
2018-19 में दोनों का व्यापार 12.33 अरब डॉलर का रहा, जो 2019-20 में 10.96 अरब डॉलर, 2020-21 में 9.21 अरब डॉलर, 2021-22 में 15.20 अरब डॉलर रहा और 2022-23 में 18.78 अरब डॉलर तक पहुंच गया.
क़तर भारत को एलएनजी, एलपीजी, केमिकल्स, प्लासिटिक, अलूमिनियम का सामान बेचता है. वहीं भारत से वो अनाज, तांबा, लोहा, स्टील, फल, सब्ज़ियां, मसाले, प्रोसेस्ड फूड, इलेक्ट्रिक मशीनरी, कपड़े, बहूमूल्य रस्त और रबर खरीदता है.
भारत और क़तर के बीच अहम रक्षा समझौते भी हैं जिसके तहत भारत भारतीय नौसेना और कोस्ट गार्ड के जहाज़ क़तर जाते रहते हैं.
एनएलजी और एलपीजी के मामले में क़तर भारत का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है. भारत अपनी एलएनजी की ज़रूरत का कुल 48 फ़ीसदी हिस्सा भारत क़तर से ख़रीदता है.
चीन और जापान के बाद भारत क़तर का तीसरा सबसे बड़ी ख़रीदार है. वहीं आयात के मामले में चीन और अमेरिका के बाद तीसरे नंबर पर भारत है.
रिश्तों में चुनौती
भारत और क़तर के रिश्ते में अहम चुनौती जून 2022 में आई, जब बीजेपी की प्रवक्ता रहीं नुपुर शर्मा ने एक टीवी शो में पैग़ंबर मोहम्मद के बारे में विवादित टिप्पणी की थी.
उस दौरान क़तर पहला देश था, जिसने भारत से 'माफ़ी' की मांग की. क़तर ने भारतीय राजदूत को बुलाकर अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी.
क़तर के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी किए गए बयान में भारत की सत्तारूढ़ पार्टी के नेता के विवादास्पद बयान पर कड़ी नाराज़गी जताई गई थी.
हालांकि बीजेपी ने नुपुर शर्मा को पार्टी से हटा था.
क़तर ने बीजेपी के उस बयान का भी स्वागत किया था, जिसमें पार्टी ने नूपुर शर्मा को निलंबित करने का एलान किया था. क़तर का कहना था कि नुपूर शर्मा के बयान से दुनिया भर के मुसलमानों में नाराज़गी का माहौल है.
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